Saturday 19 October 2019

मेरी मां प्यारी मां मम्मा

माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

हाथों की लकीरें बदल जायेंगी

ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी

हो खुदा पे भी असर

तू दुआओं का है घर

मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

बिगड़ी किस्मत भी संवर जायेगी

जिंदगी तराने खुशी के जायेगी

तेरे होते किसका डर

तू दुआओं का है घर

मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

यूँ तो मैं सब से न्यारा हूँ

तेरा माँ मैं दुलारा हूँ

यूँ तो मैं सब से न्यारा हूँ

पर तेरा माँ मैं दुलारा हूँ

दुनिया में जीने से ज्यादा उलझन है माँ

तू है अमर का जहान

तू गुस्सा करती है बड़ा अच्छा लगता है

तू कान पकड़ती है बड़ी ज़ोर से लगता है मेरी माँ

मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

हाथों की लकीरें बदल जायेंगी

ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी

हो खुदा पे भी असर

तू दुआओं का है घर

मेरी माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा

Sunday 13 October 2019

आनंद बक्शी जीवन परिचय

आनंद बख़्शी / परिचय
आनंद बख़्शी की रचनाएँ
आनंद बख़्शी यह वह नाम है जिसके बिना आज तक बनी बहुत बड़ी-बड़ी म्यूज़िकल फ़िल्मों को शायद वह सफलता न मिलती जिनको बनाने वाले आज गर्व करते हैं। आनन्द साहब चंद उन नामी चित्रपट(फ़िल्म) गीतकारों में से एक हैं जिन्होंने एक के बाद एक अनेक और लगातार साल दर साल बहुचर्चित और दिल लुभाने वाले यादगार गीत लिखे, जिनको सुनने वाले आज भी गुनगुनाते हैं, गाते हैं। जो प्रेम गीत उनकी कलम से उतरे उनके बारे में जितना कहा जाये कम है, प्यार ही ऐसा शब्द है जो उनके गीतों को परिभाषित करता है और जब उन्होंने दर्द लिखा तो सुनने वालों की आँखें छलक उठीं दिल भर आया, ऐसे गीतकार थे आनन्द बक्षी। दोस्ती पर शोले फ़िल्म में लिखा वह गीत 'यह दोस्ती हम नहीं छोड़ेगे' आज तक कौन नहीं गाता-गुनगुनाता। ज़िन्दगी की तल्खियो को जब शब्द में पिरोया तो हर आदमी की ज़िन्दगी किसी न किसी सिरे से उस गीत से जुड़ गयी। गीत जितने सरल हैं उतनी ही सरलता से हर दिल में उतर जाते हैं, जैसे ख़ुशबू हवा में और चंदन पानी में घुल जाता है। मैं तो यह कहूँगा प्रेम शब्द को शहद से भी मीठा अगर महसूस करना हो तो आनन्द बक्षी साहब के गीत सुनिये। मजरूह सुल्तानपुरी के साथ-साथ एक आनन्द बक्षी ही ऐसे गीतकार हैं जिन्होने 43 वर्षों तक लगातार एक के बाद एक सुन्दर और कृतिमता(बनावट) से परे मनमोहक गीत लिखे, जब तक उनके तन में साँस का एक भी टुकड़ा बाक़ी रहा।

21 जुलाई सन् 1930 को रावलपिण्डी में जन्मे आनंद बक्षी से एक यही सपना देखा था कि बम्बई (मुम्बई) जाकर पाश्र्व(प्लेबैक) गायक बनना है। इसी सपने के पीछे दौड़ते-भागते वे बम्बई आ गये और उन्होंने अजीविका के लिए 'जलसेना (नेवी), कँराची' के लिए नौकरी की, लेकिन किसी उच्च पदाधिकारी से कहा सुनी के कारण उन्होंने वह नौकरी छोड़ दी। इसी बीच भारत-पाकिस्तान बँटवारा हुआ और वह लखनऊ में अपने घर आ गये। यहाँ वह टेलीफोन आपरेटर का काम कर तो रहे थे लेकिन गायक बनने का सपना उनकी आँखों से कोहरे की तरह छँटा नहीं और वह एक बार फिर बम्बई को निकल पड़े।

बम्बई जाकर अन्होंने ठोकरों के अलावा कुछ नहीं मिला, न जाने यह क्यों हो रहा था? पर कहते हैं न कि जो होता है भले के लिए होता है। फिर वह दिल्ली तो आ गये और EME नाम की एक कम्पनी में मोटर मकैनिक की नौकरी भी करने लगे, लेकिन दीवाने के दिल को चैन नहीं आया और फिर वह भाग्य आज़माने बम्बई लौट गये। इस बार बार उनकी मुलाक़ात भगवान दादा से हुई जो फिल्म 'बड़ा आदमी(1956)' के लिए गीतकार ढूँढ़ रहे थे और उन्होंने आनन्द बक्षी से कहा कि वह उनकी फिल्म के लिए गीत लिख दें, इसके लिए वह उनको रुपये भी देने को तैयार हैं। पर कहते हैं न बुरे समय की काली छाया आसानी से साथ नहीं छोड़ती सो उन्हें तब तक गीतकार के रूप में संघर्ष करना पड़ा जब तक सूरज प्रकाश की फिल्म 'मेहदी लगी मेरे हाथ(1962)' और 'जब-जब फूल खिले(1965)' पर्दे पर नहीं आयी। अब भाग्य ने उनका साथ देना शुरु कर दिया था या यूँ कहिए उनकी मेहनत रंग ला रही थी और 'परदेसियों से न अँखियाँ मिलाना' और 'यह समा है प्यार का' जैसे लाजवाब गीतों ने उन्हें बहुत लोकप्रिय बना दिया। इसके बाद फ़िल्म 'मिलन(1967)' में उन्होंने जो गीत लिखे, उसके बाद तो वह गीतकारों की श्रेणी में सबसे ऊपर आ गये। अब 'सावन का महीना', 'बोल गोरी बोल', 'राम करे ऐसा हो जाये', 'मैं तो दीवाना' और 'हम-तुम युग-युग' यह गीत देश के घर-घर में गुनगुनाये जा रहे थे। इसके बाद आनन्द बक्षी आगे ही आगे बढ़ते गये, उन्हें फिर कभी पीछे मुड़ के देखने की ज़रूरत नहीं पड़ी।

यह सुनहरा दौर था जब गीतकार आनन्द बक्षी ने संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ काम करते हुए 'फ़र्ज़(1967)', 'दो रास्ते(1969)', 'बॉबी(1973'), 'अमर अकबर एन्थॉनी(1977)', 'इक दूजे के लिए(1981)' और राहुल देव बर्मन के साथ 'कटी पतंग(1970)', 'अमर प्रेम(1971)', हरे रामा हरे कृष्णा(1971' और 'लव स्टोरी(1981)' फ़िल्मों में अमर गीत दिये। फ़िल्म अमर प्रेम(1971) के 'बड़ा नटखट है किशन कन्हैया', 'कुछ तो लोग कहेंगे', 'ये क्या हुआ', और 'रैना बीती जाये' जैसे उत्कृष्ट गीत हर दिल में धड़कते हैं और सुनने वाले के दिल की सदा में बसते हैं। अगर फ़िल्म निर्माताओं के साक्षेप चर्चा की जाये तो राज कपूर के लिए 'बॉबी(1973)', 'सत्यम् शिवम् सुन्दरम्(1978)'; सुभाष घई के लिए 'कर्ज़(1980)', 'हीरो(1983)', 'कर्मा(1986)', 'राम-लखन(1989)', 'सौदागर(1991)', 'खलनायक(1993)', 'ताल(1999)' और 'यादें(2001)'; और यश चोपड़ा के लिए 'चाँदनी(1989)', 'लम्हे(1991)', 'डर(1993)', 'दिल तो पागल है(1997)'; आदित्य चोपड़ा के लिए 'दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे(1995)', 'मोहब्बतें(2000)' फिल्मों में सदाबहार गीत लिखे।

बक्षी साहब ने फ़िल्म मोम की 'गुड़िया(1972)' में गीत 'बाग़ों में बहार आयी' लता जी के साथ गाया था। इस पर लता जी बताती हैं कि 'मुझे याद है कि इस गीत की रिकार्डिंग से पहले आनन्द मुझसे मिलने आये और कहा कि मैं यह गीत तुम्हारे साथ गाने जा रहा हूँ 'इसकी सफलता तो सुनिश्चित है'। इसके अलावा 'शोले(1975)', 'महाचोर(1976)', 'चरस(1976)', 'विधाता(1982)' और 'जान(1996)' में भी पाश्र्व(प्लेबैक) गायक रहे। आनन्द साहब का फिल्म जगत में योगदान यहीं तक सीमित नहीं, 'शहंशाह(1988)', 'प्रेम प्रतिज्ञा(1989)', 'मैं खिलाड़ी तू आनाड़ी(1994)', और 'आरज़ू(1999)' में बतौर एक्शन डायरेक्टर भी काम किया, सिर्फ यही नहीं 'पिकनिक(1966)' में अदाकारी भी की।

बक्षी की गीतों की महानता इस बात में है कि वह जो गीत लिखते थे वह किसी गाँव के किसान और शहर में रहने वाले किसी बुद्धिजीवी और ऊँची सोच रखने वाले व्यक्तिव को समान रूप से समझ आते हैं। वह कुछ ऐसे चुनिंदा गीतकारों में से एक हैं जिनके गीत जैसे उन्होंने लिखकर दिये वह बिना किसी फेर-बदल या नुक्ताचीनी के रिकार्ड किये गये। आनन्द साहब कहते थे फिल्म के गीत उसकी कथा, पटकथा और परिस्थिति पर निर्भर करते हैं। गीत किसी भी मन: स्थिति, परिवेश या उम्र के लिए हो सकता है सो कहानी चाहे 60, 70 या आज के दशक की हो इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है।

आनन्द साहब को बड़े-बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें 'आदमी मुसाफ़िर है' [अपनापन(1977)], 'तेरे मेरे बीच कैसा है यह बन्धन' [ एक दूजे के लिए(1981)], 'तुझे देखा तो यह जाना सनम' [दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे (1995)] और 'इश्क़ बिना क्या जीना यारों' [ ताल(1999)] गीतों के लिए चार बार फ़िल्म फ़ेयर पुरस्कार भी सम्मिलित है।

बक्षी साहब का निर्वाण 30 मार्च 2002 को मुम्बई में हुआ। फेफड़े और दिल की बीमारी को लेकर नानावती हास्पिटल में उनका इलाज काफ़ी समय चला लेकिन उनको बचाने की कोशिश नाकामयब रही। आनन्द बक्षी साहब आज हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी कमी सिर्फ़ हमें नहीं खलती बल्कि उन फिल्मकारों को भी खलती है जिनके लिए वह गीत लिखते रहे, आज अगर आप उनकी आने वाली फ़िल्मों के गीत सुने तो कहीं न कहीं उनमें प्यार की मासूमियत और सच्ची भावना की कमी झलकती है, या बनावटीपन है या उनके जैसा लिखने की कोशिश है। आनन्द साहब इस दुनिया से क्या रुख़्सत हुए जैसे शब्दों ने मौन धारण कर लिया, जाने यह चुप्पी कब टूटे कब कोई दूसरा उनके जैसा गीतकार जन्म ले!

तुम आए तो आया मुझे याद

तुम आए तो आया मुझे याद / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

तुम आये तो आया मुझे याद गली में आज चाँद निकला
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला

ये नैना बिन काजल तरसे, बारह महीने बादल बरसे
सुनी रब ने मेरी फ़रियाद, गली में आज चाँद निकला ...

आज की रात जो मैं सो जाती, खुलती आँख सुबह हो जाती
मैं तो हो जाती बस बरबाद, गली में आज चाँद निकला ...

मैं ने तुमको आते देखा अपनी जान को जाते देखा
जाने फिर क्या हुआ, नहीं याद, गली में आज चाँद निकला ...

तूने बेचैन इतना ज्यादा किया

तूने बेचैन इतना ज़्यादा किया / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

तूने बेचैन इतना ज़्यादा किया मैं तेरा हो गया मैने वादा किया
दिल ने मजबूर इतना ज़्यादा किया मैं तेरी हो गई मैने वादा किया
तूने बेचैन इतना ...

लग रहा है मुझे तेरे सर की कसम अपनी पहली मोहब्बत नहीं ये सनम
हाँ मिले और बिछड़े कई बार हम फिर से मिलने का हमने वादा किया
मैं तेरी हो गई ...

रात ढलती नहीं दिन गुज़रता नहीं मेरा दिल कब तुझे याद करता नहीं
आहें भरने से जी मेरा भरता नहीं फ़ैसला मैने ये सीधा सादा किया
मैं तेरा हो गया ...

कांच की तूने चूड़ी बलम तोड़ दी लाज की शर्म की हर कसम तोड़ दी
नींद तो लूट ली जान क्यों छोड़ दी काम तेरी निगाहों ने आधा किया
मैं तेरा हो गया ...

तेरे मेरे बीच में कैसा है यह बंधन

तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बन्धन / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

लता:
ओ, तेरे मेरे बीच में -२
कैसा है यह बन्धन अंजाना -३
मैंने नहीं जाना, तूने नहीं जाना -२
तेरे मेरे बीच में ...

एक डोर खींचे दूजा दौड़ा चला आए -२
कच्चे धागे में बंधा चला आए
ऐसे जैसे कोई ...
ऐसे जैसे कोई, दीवाना -२
मैंने नहीं जाना, तूने नहीं जाना
तेरे मेरे बीच में ...

एस. पी. बालासुब्रामण्यम:
हो हो आपड़िया

लता:
हा हा जैसे सब समझ गया

पहनूँगी मैं तेरे हाथों से कंगना -२
जाएगी मेरी डोली तेरे ही अंगना
चाहे कुछ कर ले ...
चाहे कुछ कर ले, ज़माना -२
मैंने नहीं जाना, तूने नहीं जाना
तेरे मेरे बीच में ...

एस. पी. बालासुब्रामण्यम:
नी रोम्बा अड़गा इरुक्के

लता:
रम्बा? ये रम्बा-मम्बा क्या है?

इतनी ज़ुबानें बोलें लोग हमजोली -२
दुनिया में प्यार की एक है बोली
बोले जो शमा ...
बोले जो शमा, पर्वाना -२
मैंने नहीं जाना, तूने नहीं जाना

एस. पी. बालासुब्रामण्यम:
परवा इल्लये नल्ला पादरा

लता:
क्या?

कैसा है यह बन्धन अंजाना
मैंने नहीं जाना, तूने नहीं जाना
तेरे मेरे बीच में ...

Slow Version...
तेरे मेरे बीच में कैसा है ये बन्धन अन्जाना
मैं ने नहीं जाना, तू ने नहीं जाना

एक डोर खींचे दूजा दौड़ा चला आए -२
कच्चे धागे में बंधा चला आए
ऐसे जैसे कोई ...
ऐसे जैसे कोई, दीवाना -२
मैंने नहीं जाना, तूने नहीं जाना
तेरे मेरे बीच में ...

नींद न आये मुझे चैन न आये
लाख जतन कर रोक न पाये
सपनों में तेरा
ओ, सप्नों में तेरा आना जाना
मैं ने नहीं जाना, तू ने नहीं जाना
तेरे मेरे बीच में ...

नफरत की दुनिया को छोड़ के

नफ़रत की दुनिया को छोड़ के / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

नफ़रत की दुनिया को छोड़ के, प्यार की दुनिया में
खुश रहना मेरे यार
इस झूठकी नगरी को छोड़ के, गाता जा प्यारे
अमर रहे तेरा प्यार

जब जानवर कोई, इनसान को मारे
कहते हैं दुनिया में, वहशी उसे सारे
एक जानवर की जान आज इनसानों ने ली है
चुप क्यूं है संसार

बस आखिरी सुन ले, ये मेल है अपना
बस ख़त्म ऐ साथी, ये खेल है अपना
अब याद में तेरी बीत जाएंगे रो-रो के
जीवन के दिन चार

परदेस जा के परदेसिया

परदेश जा के परदेशिया / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

परदेस जा के परदेसिया भूल न जाना पिया
परदेस जा के परदेसिया भूल न जाना पिया
तन-मन किसी ने तुझे अर्पण किया
परदेस जा के ...

इक तेरी ख़ुशी के कारण
लाख सहे दुख हमने ओ साजन
लाख सहे दुख हमने ओ साजन
हँस के जुदाई का ज़हर पिया
परदेस जा के ...

दिल में तेरा प्यार बसाया दिल को जैसे रोग लगाया
सारी उमर का दर्द लिया
परदेस जा के ...

कब जाओगे कब आओगे कब आओगे कब जाओगे
इतने दिन है कौन जिया
परदेस जा के ...

परदेसियों से ना अखियां मिलाना

परदेशियों से न अँखियाँ मिलाना / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

परदेसियों से ना अँखियां मिलाना
परदेसियों को है इक दिन जाना

आती है जब ये रुत मस्तानी
बनती है कोई न कोई कहानी
अब के बरस देखे बने क्या फ़साना

सच ही कहा है पंछी इनको
रात को ठहरे तो उड़ जाएं दिन को
आज यहाँ कल वहाँ है ठिकाना

बागों में जब जब फूल खिलेंगे
तब तब ये हरजाई मिलेंगे
गुज़रेगा कैसे पतझड़ का ज़माना

ये बाबुल का देस छुड़ाएं
देस से ये परदेस बुलाएं
हाय सुनें ना ये कोई बहाना

हमने यही एक बार किया था
एक परदेसी से प्यार किया था
ऐसे जलाए दिल जैसे परवाना

प्यार से अपने ये नहीं होते
ये पत्थर हैं ये नहीं रोते
इनके लिये ना आँसू बहाना

ना ये बादल ना ये तारे
ये कागज़ के फूल हैं सारे
इन फूलों के बाग न लगाना

हमने यही एक बार किया था
एक परदेसी से प्यार किया था
रो रो के कहता है दिल ये दीवाना

परदेसिया यह सच है पिया

परदेसिया ये सच है पिया / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

ए हे हे रे चोरी-चोरी
मिलते हैं रे चाँद-चकोरी

हो परदेसिया
परदेसिया
ये सच है पिया सब कहते हैं मैंने
तुझको दिल दे दिया

परदेसिया
परदेसिया
ये सच है पिया सब कहते हैं मैंने
तुझको दिल दे दिया
मैं कहती हूँ तूने
मेरा दिल ले लिया

फूलों में कलियों में गाँव की गलियों में
हम-दोनों बदनाम होने लगे हैं
नदिया किनारे पे छत पे चौबारे पे
हम मिल के हँसने-रोने लगे हैं
सुन के पिया
सुन के पिया धड़के जिया
सब कहते हैं मैंने
तुझको दिल दे दिया
मैं कहती हूँ तूने
मेरा दिल ले लिया

लोगों को कहने दो कहते ही रहने दो
सच-झूठ हम क्यूँ सबको बतायें
मैं भी हूँ मस्ती में तू भी है मस्ती में
आ इस ख़ुशी में हम नाचें-गायें
किसको पता
किसको पता क्या किसने किया
सब कहते हैं तूने
मेरा दिल ले लिया

सब कहते हैं मैंने
तुझको दिल दे दिया

मेरा दिल कहता है तू दिल में रहता है
मेरे भी दिल की कली खिल गैइ है

तेरी तू जाने रे माने न माने रे
मुझको मेरी मंज़िल मिल गैइ है

तू मिल गया
तू मिल गया मुझको पिया
सब कहते हैं मैंने
तुझको दिल दे दिया
मैं कहती हूँ तूने
मेरा दिल ले लिया

परदेसिया
परदेसिया
ये सच है पिया सब कहते हैं मैंने
तुझको दिल दे दिया

मैं कहती हूँ तूने
मेरा दिल ले लिया

पालकी में होके सवार चली रे

पालकी में हो के सवार चली रे / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »


ओ ओ ओ
कोई रोक सके तो रोक ले मैं नाचती छन छन छन छन छन
पालकी में हो के सवार चली रे
मैं तो अपने साजन के द्वार चली रे
कोई रोक सके तो ...

मुश्किल से मैने ये दिन निकाले
चलते से चल तू ओ गाड़ी वाले
मन में लगी है ऐसी लगन ऐसी लगन हाय ऐसी लगन
होके मैं बड़ी बेकरार चली रे
मैं तो अपने साजन के ...

हो जाऊंगी मैं जल जल के मिट्टी
मैने पिया को लिख दी है चिट्ठी
तू ना आ तू ना आ मैं आ रही हूँ सजन सजन सजन
कर कर के मैं इंतज़ार चली रे
मैं तो अपने साजन के ...

ये सोना ये चाँदी ये हीरे ये मोती
हो सैंया बिना सैंया बिना सब कुछ है नाम का नाम का नाम का नाम का नाम का
ये मेरा जोबन जोबन जोबन ये मेरा जोबन किस काम का किस काम का
घूंघट में जले कब तक बिरहन बिरहन बिरहन
मैं सर से चुनरी उतार चली रे
मैं तो अपने साजन के ...

पैरों में बंधन है पायल ने मचाया शोर

पैरों में बन्धन है पायल ने मचाया शोर / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

पैरों में बन्धन है पायल ने मचाया शोर
सब दरवाज़े कर लो बन्द देखो आये आये चोर
पैरों में बन्धन है
तोड़ दे सारे बन्धन तू मचने दे पायल का शोर
दिल के सब दरवाज़े खोल देखो आये आये चोर
पैरों में बन्धन है

कहूँ मैं क्या, करूँ मैं क्या
शरम आ जाती है
न यूँ तड़पा कि मेरी जान
निकलती जाती है
तू आशिक़ है मेरा सच्चा यक़ीं तो आने दे
तेरे दिल में अगर शक़ है तो बस फिर जाने दे
इतनी जळी लाज का घूँघत न खोलूँगी
सोचूँगी फिर सोच के कल परसों बोलूँगी
तू आज भी हाँ न बोली
ओय कुड़िये तेरी डोली ले न जाये कोई और
पैरों में बन्धन है ...

जिन्हें मिलना है कुछ भी हो
अजी मिल जाते हैं
दिलों के फूल तो
पतझड़ में भी खिल जाते हैं
ज़माना दोस्तों दिल को दीवाना कहता है
दीवाना दिल ज़माने को दीवाना कहता है
ले मैं सैंया आ गयी सारी दुनियाँ को छोड़ के
तेरा बन्धन बाँध लिया सारे बन्धन तोड़ के
एक दूजे से जुड़ जायें
आ हम दोनो उड़ जायें जैसे संग पतंग और डोर
पैरों में बन्धन है ...

बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा

बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

र: बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा

कि: बने चाहे ...

र: वो ख़्वाबों के दिन वो किताबों के दिन
सवालों की रातें जवाबों के दिन
कई साल हमने गुज़ारे यहाँ
यहीं साथ खेले हुए हम जवां
हुए हम जवां
था बचपन बड़ा आशिकाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा

कि: बने चाहे ...

कि: ना बिछड़ेंगे मर के भी हम दोस्तों
हमें दोस्ती की क़सम दोस्तों
पता कोई पूछे तो कहते हैं हम
के एक दूजे के दिल मे रहते हैं हम
रहते हैं हम
नहीं और कोई ठिकाना हमारा
सलामत रहे दोस्ताना हमारा

र: बने चाहे ...

बिंदिया चमकेगी चूड़ी खनकेगी

बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी
बिंदिया चमकेगी, चूड़ी खनकेगी
तेरी नींद उडे ते उड जाए
कजरा बहकेगा, गजरा महकेगा
कजरा बहकेगा, गजरा महकेगा
मोहे रुसदीये ते रुस जाए
मोहे रुसदीये ते रुस जाए
बिंदिया चमकेगी ...

मैंने माना हुआ तू दीवाना
 ज़ुलम तेरे साथ हुआ
मैंने माना हुआ तू दीवाना
 ज़ुलम तेरे साथ हुआ
मैं कहाँ ले जाऊँ अपने लौंग का लश्कारा
इस लश्कारे से आके द्वारे से
इस लश्कारे से आके द्वारे से
चल मुड़दीये ते मुड जाए
बिंदिया चमकेगी ...

बोले कंगना किसीका ओ सजना
 जवानी पे ज़ोर नहीं
बोले कंगना किसीका ओ सजना
 जवानी पे ज़ोर नहीं
लाख मना करले दुनिया
कहते हैं मेरे घुंगरू
पायल बाजेगी, गोरी नाचेगी
पायल बाजेगी, गोरी नाचेगी
छत टुटदीये ते टुट जाए
बिंदिया चमकेगी ...

मैंने तुझसे मोहब्बत की है
 ग़ुलामी नहीं की बलमा
मैंने तुझसे मोहब्बत की है
 ग़ुलामी नहीं की बलमा
दिल किसी का टूटे
चाहे कोई मुझसे रूठे
मैं तो खेलूँगी, मैं तो छेड़ूँगी
मैं तो खेलूँगी, मैं तो छेड़ूँगी
यारी टुटदीये ते, टुट जाए
बिंदिया चमकेगी ...

मेरे आँगन बारात लेके साजन
 तू जिस रात आएगा
मेरे आँगन बारात लेके साजन
 तू जिस रात आएगा
मैं न बैठूँगी डोली में
कह दूँगी बाबुल से
मैं न जाऊँगी, मैं न जाऊँगी
मैं न जाऊँगी, मैं न जाऊँगी
गड्डी टुरदीये ते टुर जाए
बिंदिया चमकेगी ...

भोली सी सूरत आंखों में मस्ती

भोली-सी सूरत आँखों में मस्ती / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »
भोली सी सूरत आँखों में मस्ती, आय-हाय
अरे भोली सी सूरत आँखों में मस्ती दूर खड़ी शरमाए
एक झलक दिखलाए कभी, कभी आँचल में छुप जाए
मेरी नज़र से तुम देखो तो, यार ! नज़र वो आए

लड़की नहीं है वो जादू है, और कहा क्या जाए
रात को मेरे ख़्वाब में, आई वो ज़ुल्फ़ें बिखराए
आँख खुली तो दिल ने चाहा, फिर नींद मुझे आ जाए
बिन देखे ये हाल हुआ, देखूँ तो क्या हो जाए

सावन का पहला बादल, उसका काजल बन जाए
मौज उठे सागर में जैसे, ऐसे क़दम उठाए
रब ने जाने किस मिट्टी से, उसके अँग बनाए
छम से काश कहीं से मेरे, सामने वो आ जाए

मेरे नैना सावन भादो

मेरे नैना सावन भादों / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

किशोर:
मेरे नैना सावन भादों
फिर भी मेरा मन प्यासा
फिर भी मेरा मन प्यासा

ऐ दिल दीवाने, खेल है क्या जाने
दर्द भरा ये, गीत कहाँ से
इन होंठों पे आए, दूर कहीं ले जाए
भूल गया क्या, भूल के भी है
मुझको याद ज़रा सा, फिर भी ...

बात पुरानी है, एक कहानी है
अब सोचूँ तुम्हें, याद नहीं है
अब सोचूँ नहीं भूले, वो सावन के झूले
ऋतु आये ऋतु जाये देके
झूठा एक दिलासा, फिर भी...

बरसों बीत गए, हमको मिले बिछड़े
बिजुरी बनकर, गगन पे चमके
बीते समय की रेखा, मैं ने तुम को देखा
मन संग आँख-मिचौली खेले
आशा और निराशा, फिर भी...

लता:
मेरे नैना सावन भादों
फिर भी मेरा मन प्यासा
फिर भी मेरा मन प्यासा

बात पुरानी है...

ऐ दिल दीवाने ...

बरसों बीत गए, हमको मिले बिछड़े
बिजुरी बनकर, गगन पे चमके
बीते समय की रेखा, मैंने तुमको देखा
तड़प तड़प के इस बिरहन को
आया चैन ज़रासा, फिर भी ...

घुंघरू की छमछम, बन गई दिल का ग़म
डूब गया दिल, यादों में फिर
उभरी बेरंग लकीरें, देखो ये तसवीरें
सूने महल में नाच रही है
अब तक एक रक्कासा, फिर भी...

मेरे महबूब कयामत होगी

मेरे महबूब क़यामत होगी / आनंद बख़्शी
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मेरे महबूब क़यामत होगी
आज रुसवा तेरी गलियों में मुहब्बत होगी

नाम निकलेगा तेरे ही लब से
जान जब इस दिल-ए-नादान से रुखसत होगी
मेरे महबूब ...

तेरी गली मैं आता सनम
नग़मे वफ़ा के गाता सनम
तुझ से सुना ना जाता सनम
अब आ पहुंचा आया हूँ मगर
ये कह कर मैं दीवाना
ख़त्म अब आज ये वहशत होगी
आज रुसवा ...

मेरे सनम के दर से अगर
बद-ए-सबा हो तेरा गुज़र
कहना सितमगर कुछ है खबर
तेरा नाम लिया
जब तक भी जिया
ऐ शम्मा तेरा परवाना
जिससे अब तक तुझे नफ़रत होगी
आज रुसवा ...

मेरे महबूब ...

मैं तेरे इश्क में मर ना जाऊं कहीं

मैं तेरे इश्क़ में मर न जाऊँ कहीं / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

मैं तेरे इश्क़ में मर न जाऊँ कहीं
तू मुझे आज़माने की कोशिश न कर
मैं तेरे इश्क़ में मर न जाऊँ कहीं
तू मुझे आज़माने की कोशिश न कर
ख़ूबसूरत है तू तो हूँ मैं भी हसीं
मुझसे नज़रें चुराने की कोशिश न कर
मैं तेरे इश्क़ में

शौक़ से तू मेरा इम्तहान ले
शौक़ से तू मेरा इम्तहान ले
तेरे कदमों पे रख दी है जान ले
बेकदर बेकबर मान जा ज़िद ना कर
तोड़ कर दिल मेरा ऐ मेरे हमनशीं
इस तरह मुस्कुराने की कोशिश ना कर
ख़ूबसूरत है तू तो हूँ मैं भी हसीं
मुझसे नज़रें चुराने की कोशिश न कर
मैं तेरे इश्क़ में

फेर ली क्यूँ नज़र मुझसे रूठ कर
फेर ली क्यूँ नज़र मुझसे रूठ कर
दिल के टुकड़े हुये टूट टूट कर
क्या कहा दिलरूबा तू है मुझसे ख़फ़ा
इक बहाना है ये हक़ीक़त नहीं
यूँ बहाने बनाने की कोशिश ना कर
ख़ूबसूरत है तू तो हूँ मैं भी हसीं
मुझसे नज़रें चुराने की कोशिश न कर
मैं तेरे इश्क़ में

कब से बैठी हूँ मैं इंतज़ार में
कब से बैठी हूँ मैं इंतज़ार में
झूठा वादा ही कर कोई प्यार में
क्या सितम है सनम तेरे सर की क़सम
याद चाहें ना कर तू मुझे ग़म नहीं
हाँ मगर भूल जाने की कोशिश ना कर
ख़ूबसूरत है तू तो हूँ मैं भी हसीं
मुझसे नज़रें चुराने की कोशिश न कर
मैं तेरे इश्क़ में

मैं परदेसी घर वापस आया

मैं परदेशी घर वापस आया / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

सावन के झोंकों ने मुझको बुलाया
सावन के झूलों ने मुझको बुलाया
मैं परदेसी घर वापस आया
काँटों ने फूलों ने मुझको बुलाया
मैं परदेसी घर वापस आया

याद बड़ी एक मीठी आई
उड़ के ज़रा सी मिट्टी आई
नाम मेरे एक
चिट्ठी आई
चिट्ठी आई
जिसने मेरे दिल को धड़काया
मैं परदेसी घर वापस ...

सपनों में आई एक हसीना
नींद चुराई मेरा चैन भी छीना
कर दिया मुश्किल मेरा जीना
याद जो आया उसकी ज़ुल्फ़ों का साया
मैं परदेसी घर वापस ...

कैसी अनोखी ये प्रेम कहानी
अनसुनी अनदेखी अनजानी
ओ मेरे सपनों की रानी
होंठों पे तेरे मेरा नाम जो आया
मैं परदेसी घर वापस ...

यह दुनिया एक दुल्हन

ये दुनिया इक दुल्हन / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

हरे रामा, हरे रामा, रामा रामा हरे
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे
सिम सिम पोला पोला सिम सिम पोला
हरे रामा, हरे रामा, रामा रामा हरे
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण

वी वांट टू गो

अरे बोलो बोलो
अमेरिका, अमेरिका, अमेरिका!

लन्दन देखा, पैरिस देखा
लन्दन देखा, पैरिस देखा
और देखा जापान
मैकल देखा, एल्विस देखा
सब देखा मेरी जान
सारे जग में कहीं नहीं है
दूसरा हिन्दुस्तान, दूसरा हिन्दुस्तान, दूसरा हिन्दुस्तान

ये दुनिया, इक दुल्हन
ये दुनिया, इक दुल्हन
दुल्हन के माथे की बिन्दिया
ये मेरा इन्डिआ
ये मेरा इन्डिआ
आय लव माय इंडिया
आय लव माय इंडिया

ये दुनिया, इक दुल्हन
ये दुनिया, इक दुल्हन
दुल्हन के माथे की बिन्दिया
ये मेरा इन्डिआ
आय लव माय इंडिया
ये मेरा इन्डिआ
आय लव माय इंडिया

जब छेड़ा मल्हार किसी ने
झूम के सावन आया
आग लगा दी पानी में जब
दीपक राग सुनाया
सात सुरों का संगम
ये जीवन गीतों की माला
हम अपने भगवान को भी
कहते हैं बाँसुरी वाला
बाँसुरी वाला
बाँसुरी वाला
ये मेरा इन्डिआ
आय लव माय इंडिया
ये मेरा इन्डिआ
आय लव माय इंडिया

सिम सिम पोला पोला, सिम सिम पोला
सिम्बोला, सिम्बोला

दो रे फ़ सो
प म रे स
दो रे फ़ सो
प म रे स
दो रे फ़ सो
प म रे स
दो रे फ़ सो
प म रे स
दो रे दो रे
प म प म प म
प म प म प म
म प नि प नि प
नि प नि प नि प
नि प नि स रे रे
रे रे रे रे रे रे
स रे स रे स रि
स स स स स स
स नि प नि नि प
प म म रे रे स
स रि स रि रे

पिहू पिहू, बोले पपीहा कोयल कुहू कुहू, गाये
हँसते रोते, हमने जीवन के सब गीत बनाये
ये सारी दुनिया अपने अपने गीतों को गाये
गीत वो गाओ जिस से इस मिट्टी की खुशबू आये
मिट्टी की खुशबू आये

आय लव माय इंडिया, आय लव माय इंडिया
आय लव माय इंडिया, आय लव माय इंडिया
वतन मेरा इन्डिआ, सजन मेरा इन्डिआ

ये दुनिया
ये दुनिया
इक दुल्हन
इक दुल्हन
ये दुनिया, इक दुल्हन
दुल्हन के माथे की बिन्दिया
ये मेरा इन्डिआ, आय लव माय इंडिया
ये मेरा इन्डिआ, आय लव माय इंडिया
वतन मेरा इन्डिआ
सजन मेरा इन्डिआ
करम मेरा इन्डिआ
धरम मेरा इन्डिआ
आ आ आ आ आ

यह दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोडेंगे

ऐ मेरी जीत तेरी जीत तेरी हार मेरी हार
सुन ऐ मेरे यार
तेरा ग़म मेरा ग़म तेरी जान मेरी जान
ऐसा अपना प्यार
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
खाना पीना साथ है, मरना जीना साथ है
सारी ज़िन्दगी
ये दोस्ती ...

लोगों को आते हैं दो नज़र हम मगर
ऐसा तो नहीं
हों जुदा या ख़फ़ा ऐ खुदा दे दुआ
ऐसा हो नहीं
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
ज़ान पर भी खेलेंगे तेरे लिये ले लेंगे
सबसे दुश्मनी

ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे
तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ ना छोड़ेंगे

यह रेशमी जुल्फें यह शरबती आंखें

ये रेशमी जुल्फ़ें, ये शर्बती आँखें / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
ये रेशमी ज़ुल्फ़ें, ये शरबती आँखें
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी

जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी
सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
जो ये आँखे शरम से, झुक जाएंगी
सारी बातें यहीं बस, रुक जाएंगी
चुप रहना ये अफ़साना, कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी

ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ज़ुल्फ़ें मग़रूर इतनी, हो जाएंगी
दिल तो तड़पाएंगी, जी को तरसाएंगी
ये कर देंगी दीवाना, कोई इनको ना बतलाना कि
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी
इन्हें देख कर जी रहे हैं सभी

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है
फिर वो झड़ी है
वही आग फिर सीने में जल पड़ी है
लगी आज सावन की ...

कुछ ऐसे ही दिन थे वो जब हम मिले थे
चमन में नहीं फूल दिल में खिले थे
वही तो है मौसम मगर रुत नहीं वो
मेरे साथ बरसात भी रो पड़ी है
लगी आज सावन की ...

कोई काश दिल पे बस हाथ रख दे
मेरे दिल के टुकड़ों को एक साथ रख दे
मगर यह हैं ख्वाबों ख्यालों की बातें
कभी टूट कर चीज़ कोई जुड़ी है
लगी आज सावन की ...

सोलह बरस की बाली उमर को सलाम

सोलह बरस की बाली उमर को सलाम / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

कोशिश कर के देख ले दरिया सारे नदिया सारी
दिल की लगी नहीं बुझती, बुझती है हर चिंगारी

सोलह बरस की बाली उमर को सलाम
ऐ प्यार! तेरी पहली नज़र को सलाम...

दुनिया में सबसे पहले जिसने ये दिल दिया
दुनिया के सबसे पहले दिलबर को सलाम
दिल से निकलने वाले रस्ते का शुक्रिया
दिल तक पहुँचने वाली डगर को सलाम
ऐ प्यार! तेरी पहली नज़र को सलाम...

जिस में जवान हो कर, बदनाम हम हुए
उस शहर, उस गली, उस घर को सलाम
जिसने हमें मिलाया, जिसने जुदा किया
उस वक़्त, उस घड़ी, उस डगर को सलाम
ऐ प्यार! तेरी पहली नज़र को सलाम ...

मिलते रहे यहाँ हम, ये है यहाँ लिखा
उस लिखावट की ज़ेरो-ज़बर को सलाम
साहिल की रेत पर यूँ लहरा उठा ये दिल
सागर में उठने वाली हर लहर को सलाम
यूँ मस्त गहरी-गहरी आँखों की झील में
जिसने हमें डुबोया उस भँवर को सलाम
घूँघट को छोड़कर जो सर से सरक गयी
ऐसी निगोड़ी धानी चुनर को सलाम..

उल्फ़त के दुश्मनों ने कोशिश हज़ार की
फिर भी नहीं झुकी जो, उस नज़र को सलाम
ऐ प्यार! तेरी पहली नज़र को सलाम...

सावन का महीना पवन करे शोर

सावन का महीना, पवन करे सोर / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

सावन का महीना, पवन करे सोर
पवन करे शोर
पवन करे सोर
पवन करे शोर
अरे बाबा शोर नहीं सोर, सोर, सोर
पवन करे सोर

हाँ, जियरा रे झूमे ऐसे, जैसे बनमा नाचे मोर
हो सावन का महीना ...

मौजवा करे क्या जाने, हमको इशारा
जाना कहाँ है पूछे, नदिया की धारा
मरज़ी है तुम्हारी, ले जाओ जिस ओर
जियरा रे झूमे ऐसे ...

रामा गजब ढाए, ये पुरवइया
नइया सम्भालो कित, खोए हो खिवइया
पुरवइया के आगे, चले ना कोई ज़ोर
जियरा रे झूमे ऐसे ...

जिनके बलम बैरी, गए हैं बिदेसवा
लाई है जैसे उनके, प्यार का सँदेसवा
काली अंधियारी, घटाएँ घनघोर
जियरा रे झूमे ऐसे ...

ताल से ताल मिला

ताल से ताल मिलाओ / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

दिल ये बेचैन वे, रस्ते पे नैन वे
दिल ये बेचैन वे, रस्ते पे नैन वे
जिन्दरी बेहाल है, सुर है न ताल है
आजा साँवरिया, आ, आ, आ
ताल से ताल मिला, हो ताल से ताल मिला

सावन ने आज तो मुझ को भिगो दिया
हाय मेरी लाज ने, मुझ को डुबो दिया
सावन ने आज तो मुझ को भिगो दिया
हाय मेरी लाज ने, मुझ को डुबो दिया
ऐसी लगी चढ़ी सोचूँ मैं ये खड़ी
कुछ मैं ने खो दिया, क्या मैं ने खो दिया
चुप क्यों है बोल तू, संग मेरे डोल तू
मेरी चाल से चाल मिला, ताल से ताल मिला
ओ, ताल से ताल मिला ...

माना अंजान है तू मेरे वास्ते
माना अंजान हूँ मैं तेरे वास्ते
माना अंजान है तू मेरे वास्ते
माना अंजान हूँ मैं तेरे वास्ते
मैं तुझ को जान लूँ, तू मुझ को जान ले
आ दिल के पास आ, इस दिल के रास्ते
जो तेरा हाल है, वो मेरा हाल है
इस हाल से हाल मिला, ओ ताल से ताल मिला
ओ, ताल से ताल मिला

दिल ये बेचैन वे, रस्ते पे नैन वे
जिन्दरी बेहाल है, सुर है न ताल है
आजा साँवरिया, आ, आ, आ
ताल से ताल मिला, हो ताल से ताल मिला

झिलमिल सितारों का आंगन होगा


झिलमिल सितारों का आँगन होगा / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

रफ़ी:
झिलमिल सितारों का आँगन होगा
रिमझिम बरसता सावन होगा
ऐसा सुंदर सपना अपना जीवन होगा

लता:
झिलमिल सितारों का आँगन होगा ...

रफ़ी:
प्रेम की गली में एक छोटा सा घर बनाएंगे
कलियाँ ना मिले ना सही काँटों से सजाएंगे
बगियाँ से सुंदर वो बन होगा
रिमझिम बरसता सावन होगा

लता:
झिलमिल सितारों का आँगन होगा

रफ़ी:
रिमझिम बरसता सावन होगा

लता:
तेरी आँखों से सारा संसार मैं देखूँगी
देखूँगी इस पार या उस पार मैं देखूँगी
नैनों को तेरा ही दर्शन होगा
रिमझिम बरसता सावन होगा

लता:
झिलमिल सितारों का आँगन होगा

रफ़ी:
रिमझिम बरसता सावन होगा

रफ़ी:
फिर तो मस्त हवाओं के हम झोके बन जाएंगे

लता:
नैना सुन्दर सपनों के झरोखे बन जाएंगे
मन आशाओं का दर्पण होगा
रिमझिम बरसता सावन होगा

दोनों:
रिमझिम सितारों कासावन होगा
झिलमिल सितारों काअ सावन होगा

रोएंगी ये आँखें फिर भी मैं तो मुस्कुराऊँगी
दुःख के तूफ़ानों से भी मैं ना घबराऊँगी
जब साथ मेरे मेरा साजन होगा
रिमझिम बरसता सावन होगा

जाने क्यों लोग मोहब्बत किया करते हैं

जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

इस ज़माने में इस मोहब्बत ने
कितने दिल तोड़े कितने घर फूँके

जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं
जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं
दिल के बदले दर्द-ए-दिल लिया करते हैं
जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं

तन्हाई मिलती है, महफ़िल नहीं मिलती
राहें मुहब्बत में कभी मन्ज़िल नहीं मिलती
दिल टूट जाता है, नाकाम होता है
उल्फ़त में लोगों का यही अन्जाम होता है
कोई क्या जाने, क्यों ये परवाने,
क्यों मचलते हैं, ग़म में जलते हैं
आहें भर भर के दीवाने जिया करते हैं
आहें भर भर के दीवाने जिया करते हैं
जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं

सावन में आँखों को, कितना रुलाती है
फ़ुरक़त में जब दिल को किसी की याद आती है
ये ज़िन्दगी यूँ ही बरबाद होती है
हर वक़्त होंठों पे कोई फ़रियाद होती है
ना दवाओं का नाम चलता है
ना दुआओं से काम चलता है
ज़हर ये फिर भी सभी क्यों पिया करतें हैं
ज़हर ये फिर भी सभी क्यों पिया करतें हैं
जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं

महबूब से हर ग़म मनसूब होता है
दिन रात उल्फ़त में तमाशा खूब होता है
रातों से भी लम्बे ये प्यार के किस्से
आशिक़ सुनाते हैं जफ़ा-ए-यार के क़िस्से
बेमुरव्वत है, बेवफ़ा है वो,
उस सितमगर का अपने दिलबर का,
नाम ले ले के दुहाई दिया करते हैं
नाम ले ले के दुहाई दिया करते हैं
जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं

जब हम जवां होंगे

जब हम जवाँ होंगे / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

जब हम जवाँ होंगे जाने कहाँ होंगे
लेकिन जहाँ होंगे वहाँ पर याद करेंगे
तुझे याद करेंगे ...

ये बचपन का प्यार अगर खो जायेगा
दिल कितना खाली-खाली हो जायेगा
तेरे ख़यालों से इसे आबाद करेंगे
तुझे याद करेंगे ...

ऐसे हँसती थी वो ऐसे चलती थी
चाँद के जैसे छुपती और निकलती थी
सब से तेरी बातें तेरे बाद करेंगे
तुझे याद करेंगे ...

तेरे शबनमी ख़्वाबों की तसवीरों से
तेरी रेशमी ज़ुल्फ़ों की ज़ंजीरों से
कैसे हम अपने आप को आज़ाद करेंगे
तुझे याद करेंगे ...

ज़हर जुदाई का पीना पड़ जाये तो
बिछड़ के भी हम को जीना पड़ जाये तो
सारी जवानी बस यूँ ही बर्बाद करेंगे
तुझे याद करेंगे ...

छुप गए सारे नजारे ओए क्या बात हो गई

छुप गए सारे नजारे ओए क्या बात हो गई / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

लता:
छुप गये सारे नज़ारे ओये क्या बात हो गई
छुप गये सारे नज़ारे ओये क्या बात हो गई

रफ़ी:
तूने काजल लगाया दिन में रात हो गई
तूने काजल लगाया दिन में रात हो गई
मिल गये नैना से नैना ओये क्या बात हो गई
मिल गये नैना से नैना ओये क्या बात हो गई

लता:
दिल ने दिल को पुकारा मुलाक़ात हो गई

रफ़ी:
कल नहीं आना
मुझे ना बुलाना
के मारेगा ताना ज़माना
कल नहीं आना
मुझे ना बुलाना
के मारेगा ताना ज़माना
तेरे होंठों पे रात ये बहाना था
गोरी तुझको तो आज नहीं आना था
तू चली आई दुहाई ओये क्या बात हो गई
तू चली आई दुहाई ओये क्या बात हो गई

लता :
मैने छोड़ा ज़माना तेरे साथ हो गई
ओ मैने छोड़ा ज़माना तेरे साथ हो गई

रफ़ी:
तूने काजल लगाया दिन में रात हो गई

लता:
अमवा की डाली
पे गाये मतवाली
कोयलिया काली निराली
अमवा की डाली
पे गाये मतवाली
कोयलिया काली निराली
सावन आने का कुछ मतलब होगा
बादल छाने का कोई सबब होगा
रिमझिम छायेँ घटायेँ ओये क्या बात हो गई
रिमझिम छायेँ घटायेँ ओये क्या बात हो गई

रफ़ी:
तेरी चुनरी लहराई बरसात हो गई
तेरी चुनरी लहराई बरसात हो गई

लता:
दिल ने दिल को पुकारा मुलाक़ात हो गई
छोड़ न बइयाँ
पड़ूँ तेरे पइयाँ
तारों की छैंयाँ में सैंयाँ
छोड़ न बइयाँ
पड़ूँ तेरे पइयाँ
तारों की छैंयाँ में सैंयाँ

रफ़ी:
एक वो दिन था मिलाती न थी तू अँखियाँ
एक ये दिन है तू जागे सारी-सारी रतियाँ
बन गई गोरी चकोरी ओये क्या बात हो गई
बन गई गोरी चकोरी ओये क्या बात हो गई

लता:
जिसका डर था बेदर्दी वही बात हो गई
हो जिसका डर था बेदर्दी वही बात हो गई
छुप गये सारे नज़ारे ओये क्या बात हो गई

दोनों:
दिल ने दिल को पुकारा मुलाक़ात हो गई
दिल ने दिल को पुकारा मुलाक़ात हो गई

चिट्ठी न कोई संदेश

चिट्ठी ना कोई सन्देस / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

चिट्ठी ना कोई सन्देस, जाने वो कौन सा देस, जहाँ तुम चले गए
इस दिल पे लगा के ठेस, जाने वो कोन सा देस, जहाँ तुम चले गए

इक आह भरी होगी, हमने ना सुनी होगी
जाते जाते तुमने, आवाज़ तो दी होगी
हर वक़्त यही हैं ग़म
उस वक़्त कहाँ थे हम
कहाँ तुम चले गए

हर चीज़ पे अश्कों से, लिखा है तुम्हारा नाम
ये रस्ते घर गलियां, तुम्हें कर ना सके सलाम
हाय दिल में रह गयी बात
जल्दी से छुड़ा कर हाथ
कहाँ तुम चले गए

अब यादों के काँटे, इस दिल में चुभते हैं
ना दर्द ठहरता है, ना आँसू रूकते हैं
तुम्हें ढूँढ रहा है प्यार
हम कैसे करें इक़रार
के हाँ तुम चले गए

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है

चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है / आनंद बख़्शी
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चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है
चिट्ठी है वतन से चिट्ठी आयी है
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है, चिट्ठी आई है ...

ऊपर मेरा नाम लिखा हैं, अंदर ये पैगाम लिखा हैं
ऊपर मेरा नाम लिखा हैं, अंदर ये पैगाम लिखा हैं
ओ परदेस को जाने वाले, लौट के फिर ना आने वाले
सात समुंदर पार गया तू, हमको ज़िंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू, आँख में आँसू छोड़ गया तू
कम खाते हैं कम सोते हैं, बहुत ज़्यादा हम रोते हैं, चिट्ठी ...

सूनी हो गईं शहर की गलियाँ, कांटे बन गईं बाग की कलियाँ
सूनी हो गईं शहर की गलियाँ, कांटे बन गईं बाग की कलियाँ
कहते हैं सावन के झूले, भूल गया तू हम नहीं भूले
तेरे बिन जब आई दीवाली, दीप नहीं दिल जले हैं खाली
तेरे बिन जब आई होली, पिचकारी से छूटी गोली
पीपल सूना पनघट सूना घर शमशान का बना नमूना
पीपल सूना पनघट सूना घर शमशान का बना नमूना
फ़सल कटी आई बैसाखी, तेरा आना रह गया बाकी, चिट्ठी ...

पहले जब तू ख़त लिखता था कागज़ में चेहरा दिखता था
पहले जब तू ख़त लिखता था कागज़ में चेहरा दिखता था
बंद हुआ ये मेल भी अब तो, खतम हुआ ये खेल भी अब तो
डोली में जब बैठी बहना, रस्ता देख रहे थे नैना
डोली में जब बैठी बहना, रस्ता देख रहे थे नैना
मैं तो बाप हूँ मेरा क्या है, तेरी माँ का हाल बुरा है
तेरी बीवी करती है सेवा, सूरत से लगती हैं बेवा
तूने पैसा बहुत कमाया, इस पैसे ने देश छुड़ाया
पंछी पिंजरा तोड़ के आजा, देश पराया छोड़ के आजा
आजा उमर बहुत है छोटी, अपने घर में भी हैं रोटी, चिट्ठी ..

चांद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था

चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

चाँद सी महबूबा हो मेरी कब ऐसा मैंने सोचा था
हाँ तुम बिलकुल वैसी हो जैसा मैंने सोचा था

ना रस्में हैं ना कसमें हैं
ना शिकवे हैं ना वादे हैं
इक सूरत भोली भाली है
दो नैना सीधे सादे हैं
दो नैना सीधे सादे हैं
ऐसा ही रूप खयालों में था
जैसा मैंने सोचा था, हाँ ...

मेरी खुशियाँ ही ना बाँटे
मेरे ग़म भी सहना चाहे
देखे ना ख्वाब वो महलों के
मेरे दिल में रहना चाहे
इस दुनिया में कौन था ऐसा
जैसा मैंने सोचा था, हाँ ...

घर आजा परदेसी तेरा देश बुलाए रे

घर आजा परदेशी तेरा देश बुलाए रे / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

हो कोयल कूके हूक उठाए यादों की बंदूक चलाए
बागों में झूलों के मौसम वापस आए रे
घर आजा परदेसी तेरा देस बुलाए रे
घर आजा परदेसी ...

इस गांव की अनपढ़ मिट्टी पढ़ नहीं सकती तेरी चिट्ठी
ये मिट्टी तू आकर चूमे तो इस धरती का दिल झूमे
माना तेरे हैं कुछ सपने पर हम तो हैं तेरे अपने
भूलने वाले हमको तेरी याद सताए रे
घर आजा परदेसी ...

पनघट पे आई मुटियारें छम छम पायल की झनकारें
खेतों में लहराई सरसों कल परसों में बीते बरसों
आज ही आजा गाता हँसता तेरा रस्ता देखे रस्ता
अरे छुक छुक गाड़ी की सीटी आवाज़ लगाए रे
घर आजा परदेसी ...

हाथों में पूजा की थाली आई रात सुहागों वाली
ओ चाँद को देखूं हाथ मैं जोड़ूं करवा चौथ का व्रत मैं तोड़ूं
तेरे हाथ से पीकर पानी दासी से बन जाऊं रानी
आज की रात जो मांगे कोई वो पा जाए रे
घर आजा परदेसी ...

ओ मन मितरा ओ मन मीता वे तेनूं रब दे हवाले कीता

दुनिया के दस्तूर हैं कैसे पागल दिल मजबूर है कैसे
अब क्या सुनना अब क्या कहना तेरे मेरे बीच ये रैना
खत्म हुई ये आँख मिचौली कल जाएगी मेरी डोली
मेरी डोली मेरी अर्थी न बन जाए रे
घर आजा परदेसी ...

ओ माही वे ओ चनवे वे जिंदवा ओ सजना

Gore rang pe na itana guman kar

गोरे रँग पे न इतना गुमान कर / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

गोरे रंग पे ना इतना ग़ुमान कर
गोरे रंग पे ना इतना ग़ुमान कर
गोरा रंग दो दिन में ढल जाएगा

मैं शमा हूँ तू है परवाना
मैं शमा हूँ तू है परवाना
मुझसे पहले तू जल जाएगा

गोरे रंग पे ...

रूप मिट जाता है ये प्यार ऐ दिलदार नहीं मिटता

हो हो फूल मुरझाने से गुलज़ार ओ सरकार नहीं मिटता

क्या बात कही है होय तौबा
क्या बात कही है होय तौबा

ये दिल बेईमान मचल जाएगा
गोरे रंग पे ...

ओ ओ आपको है ऐसा इन्कार तो ये प्यार यहीं छोड़ो

ओ ओ प्यार का मौसम है बेकार की तकरार यहीं छोड़ो

हाथों में हाथ ज़रा दे-दो
हाथों में हाथ ज़रा दे-दो

बातों में वक़्त निकल जाएगा
गोरे रंग पे ...

ओ ओ मैं तुझे कर डालूँ मसरूर नशे में चूर तो मानोगे

ओ ओ तुमसे मैं हो जाऊँ कुछ दूर ए मग़रूर हो मानोगे

तू लाख बचा मुझसे दामन
तू लाख बचा मुझसे दामन
ये हुस्न का जादू चल जाएगा

गोरे रंग पे ...

खिलौना जानकर तुम तो

खिलौना जानकर तुम तो / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

हो ...
खिलौना, जानकर तुम तो, मेरा दिल तोड़ जाते हो
मुझे इस, हाल में किसके सहारे छोड़ जाते हो
खिलौना ...

मेरे दिल से ना लो बदला ज़माने भर की बातों का
ठहर जाओ सुनो मेहमान हूँ मैं चँद रातों का
चले जाना अभी से किस लिये मुह मोड़ जाते हो
खिलौना ...

गिला तुमसे नहीं कोई, मगर अफ़सोस थोड़ा है
के जिस ग़म ने मेरा दामन बड़ी मुश्किल से छोड़ा है
उसी ग़म से मेरा फिर आज रिश्ता जोड़ जाते हो
खिलौना ...

खुदा का वास्ता देकर मनालूँ दूर हूँ लेकिन
तुम्हारा रास्ता मैं रोक लूँ मजबूर हूँ लेकिन
के मैं चल भी नहीं सकता हूँ और तुम दौड़ जाते हो
हो, खिलौना ...

ओ फिरकी वाली

ओ फिरकी वाली / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

ओ फिरकी वाली तू कल फिर आना नहीं फिर जाना तू अपनी जुबान से
कि तेरे नैना हैं ज़रा बेईमान से
ओ मतवाली ये दिल क्यों तोड़ा ये तीर काहे छोड़ा नज़र की कमान से
कि मर जाऊँगा मैं बस मुस्कान से
ओ फिरकी वाली ...

पहले भी तूने इक रोज़ ये कहा था
पहले भी तूने इक रोज़ ये कहा था
आऊँगी तू ना आई
वादा किया था सैंया बन के बदरिया
छाऊँगी तू ना छाई
मेरे प्यासे
मेरे प्यासे
नैना तरसे तू निकली ना घर से
कैसे बीती वो रात सुहानी तू सुन ले कहानी ये सारे जहान से
कि तेरे नैना हैं ...

सोचा था मैने किसी रोज़ गोरी हँस के
सोचा था मैने किसी रोज़ गोरी हँस के
बोलेगी तू ना बोली
मेरी मोहब्बत भरी बातें सुन\-सुन के
डोलेगी तू ना डोली
ओ सपनों में
ओ सपनों में
आने वाली रुक जा जाने वाली
किया तूने मेरा दिल चोरी ये पूछ ले गोरी ज़मीं आसमान से
कि तेरे नैना हैं ...

Saturday 12 October 2019

कोई शहरी बाबू दिल लहरी बाबू

कोई शहरी बाबू दिल-लहरी बाबू / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

मैं तो चलूँ हौले-हौले
फिर भी मन डोले हाय रे
मेरे रब्बा मैं की कराँ

मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

पनघट पे मैं कम जाने लगी
नटखट से मैं शरमाने लगी
पनघट पे मैं कम जाने लगी
नटखट से मैं शरमाने लगी
धड़कन से मैं घबराने लगी
दरपन से मैं कतराने लगी
मन खाये हिचकोले
ऐसे जैसे नैया डोले हाय रे
मेरे रब्बा मैं की कराँ

मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

सपनों में चोरी से आने लगा
रातों की निंदिया चुराने लगा
सपनों में चोरी से आने लगा
रातों की निंदिया चुराने लगा
नैनों की डोली बिठा के मुझे
ले के बहुत दूर जाने लगा
मेरे घुँघटा को खोले
मीठे-मीठे बोल बोले हाय रे
मेरे रब्बा मैं की कराँ

मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

आने से उसके आए बहार

आने से उसके आए बहार / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

आने से उसके आये बहार, जाने से उसके जाये बहार
बड़ी मस्तानी है मेरी महबूबा
मेरी ज़िन्दगानी है मेरी महबूबा...

गुनगुनाए ऐसे जैसे बजते हों घुंघरू कहीं पे
आके पर्वतों से, जैसे गिरता हो झरना ज़मीं पे
झरनो की मौज है वो, मौजों की रवानी है मेरी महबूबा

इस घटा को मैं तो उसकी आँखों का काजल कहूँगा
इस हवा को मैं तो उसका लहराता आँचल कहूँगा
हूरों की मलिका है परियों की रानी है मेरी महबूबा

बीत जाते हैं दिन, कट जाती है आँखों में रातें
हम ना जाने क्या क्या करते रहते हैं आपस में बातें
मैं थोड़ा दीवाना, थोड़ी सी दीवानी है मेरी महबूबा

बन संवर के निकले आए सावन का जब जब महीना
हर कोई ये समझे होगी वो कोई चंचल हसीना
पूछो तो कौन है वो, रुत ये सुहानी है, मेरी महबूबा

आजा तुझको पुकारे मेरे गीत रे

आजा तुझको पुकारे मेरे गीत रे /आनंद बख़्शी

आ जा तुझको पुकारें मेरे गीत रे, मेरे गीत रे
ओ मेरे मितवा, मेरे मीत रे, आजा ...

नाम न जानूँ तेरा देश न जानूँ
कैसे मैं भेजूँ सन्देश न जानूँ
ये फूलों की ये झूलों की, रुत न जाये बीत रे
आजा तुझको ...

तरसेगी कब तक प्यासी नज़रिया
बरसेगी कब मेरे आँगन बदरिया
तोड़ के आजा छोड़ के आजा, दुनिया की हर रीत रे
आजा तुझको ...

हो सके तो मुझे गीत दे दीजिए

हो सके तो मुझे गीत दे दीजिए,
मैं अधूरा पड़ा संकलन की तरह,
मैं तुम्हें गुनगुना लूँ ग़ज़ल की तरह,
तुम मुझे खुल के गाना भजन की तरह।

तुम बनो राधिका तो तुम्हारी कसम,
कृष्ण-सा कोई वादा करूँगा नहीं,
जानकी बन के आओ अगर घर मेरे,
राम जैसा इरादा करूँगा नहीं।
प्रेम के यज्ञ में त्याग की आहुति-
डाल दो, मन जला है हवन की तरह।

माना गंभीर हम वेद जैसे रहे,
किंतु तुम भी ऋचाओं-सी चुप-चुप रहीं,
बंधनों के निबंधों को मैंने लिखा,
फिर भी नूतन कथाएँ न तुमने कही।
प्रीति-पथ पर चलें, साँझ से क्यों ढलें?
तुम थकन की तरह में सपन की तरह।

मैंने चाहा बहुत, गीत गाऊँ मगर,
तुमने वीणा के तारों को छेड़ा नहीं,
तुमने आने का मन ही बनाया नहीं,
रास्ता वरना घर का था टेढ़ा नहीं।
तुम तो सौभाग्यशाली रही हो सदा,
भाग्य अपना बना है करण की तरह।

 विष्णु सक्सेना 

हाथ की ये लकीरें

हाथ की ये लकीरें, लकीरें नहीं
ज़ख़्म की सूचियाँ हैं, इन्हें मत पढ़ो
दिल से उठते धुएँ को धुआँ मत कहो,
दर्द की आँधियाँ हैं, इन्हें मत पढ़ो!

मुसकराई जो तुम स्वप्न आने लगे,
खिलखिलाईं तो दिन भी सुहाने लगे,
जब तुम्हारी नज़र ने हमें छू लिया,
अपनी आँखों के आँसू सुखाने लगे,
अब न आँसू, न सपने, न कोई चमक
खोखली सीपियाँ हैं, इन्हें मत पढ़ो!

मछलियाँ थीं मगर जाल डाले नहीं
पास कंकर बहुत पर उछाले नहीं,
तुमको सीमाएँ अच्छी लगी इसलिए,
पाँव चादर से बाहर निकाले नहीं।
पृष्ठ कोरे हैं तो क्या हुआ फेंक दो-
अनलिखी चिट्ठियाँ हैं इन्हें मत पढ़ो!

उम्र-भर हाथ सबको दिखाते रहे,
और निराशा में आशा बँधाते रहे,
जब से देखा तुम्हें फूल से प्यार है,
हम मुंडेरों पे गमले सजाते रहे,
चुभ रहे जो तुम्हें तेज़ काँटे नहीं,
ये मेरी उँगलियाँ हैं, इन्हें मत पढ़ो।

मन बहकने लगा और घबरा गए,
भूख इतनी लगी धूप भी खा गए,
ज़िंदगी-भर बबूलों में भटका किए,
लौटकर अब उसूलों के घर आ गए,
अब पहाड़े सही याद कर लीजिए,
जो ग़लत गिनतियाँ हैं उन्हें मत पढ़ो!

मेहंदी लगाया करो

मेहंदी लगाया करो – विष्णु सक्सेना

दूधिया हाथ में, चाँदनी रात में,
बैठ कर यूँ न मेंहदी रचाया करो।
और सुखाने के करके बहाने से तुम
इस तरह चाँद को मत जलाया करो।

जब भी तन्हाई में सोचता हूं तुम्हें
सच, महकने ये लगता है मेरा बदन,
इसलिये गीत मेरे हैं खुशबू भरे
तालियों से गवाही ये देता सदन,
भूल जाते हैं अपनी हँसी फूल सब
सामने उनके मत मुस्कराया करो।

साँझ कब ढल गयी कब सवेरा हुआ
रात भर बात जब मैंने की रूप से
मुझको जुल्फों में अपनी छुपाते न गर
बच न पाता जमाने की इस धूप से,
लोग हाथों में लेकर खडे हैं नमक
ज़ख्म अपने न सबको दिखाया करो।

मेरा तन और मन हो गया है हरा
तुम मिले जब से धानी चुनर ओढ़ कर
जिन किताबों के पन्नों को तुमने छुआ
आज तक उन सभी को रखा मोड़ कर
खत जो भेजे थे मैंने तुम्हारे लिये
मत पतंगें बनाकर उडाया करो।

~ विष्णु सक्सेना

Thursday 6 June 2019

मुझको तेरे शहर से मुक्तक

मुझको तेरे शहर से इतना लगाव क्यों है,
इन प्यार के  रिश्तो में इतना खिंचाव क्यों है,
मैं दूर रहना चाहूं पर दूर रह ना पाऊं,
दिल पर मेरे तुम्हारा इतना प्रभाव क्यों है....

Tuesday 4 June 2019

पर्यावरण संरक्षण पर कविता

रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं,
कुल्हाड़ी अब मत मारो।
आसमां के बादल से पूछो,
मुझको कैसे पाला है।
हर मौसम में सींचा हमको,
मिट्टी-करकट झाड़ा है।
उन मंद हवाओं से पूछो,
जो झूला हमें झुलाया है।
पल-पल मेरा ख्याल रखा है,
अंकुर तभी उगाया है।
तुम सूखे इस उपवन में,
पेड़ों का एक बाग लगा लो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
इस धरा की सुंदर छाया,
हम पेड़ों से बनी हुई है।
मधुर-मधुर ये मंद हवाएं,
अमृत बन के चली हुई हैं।
हमीं से नाता है जीवों का,
जो धरा पर आएंगे।
हमीं से रिश्ता है जन-जन का,
जो इस धरा से जाएंगे।
शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं,
ठूंठ आंख में अब मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
हमीं कराते सब प्राणी को,
अमृत का रसपान।
हमीं से बनती कितनी औषधि।
नई पनपती जान।
कितने फल-फूल हम देते,
फिर भी अनजान बने हो।
लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो,
उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।
हमीं से सुंदर जीवन मिलता,
बुरी नजर मुझपे मत डालो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।
अगर जमीं पर नहीं रहे हम,
जीना दूभर हो जाएगा।
त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी,
हाहाकार भी मच जाएगा।
तब पछताओगे तुम बंदे,
हमने इन्हें बिगाड़ा है।
हमीं से घर-घर सब मिलता है,
जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।
गली-गली में पेड़ लगाओ,
हर प्राणी में आस जगा दो।
रो-रोकर पुकार रहा हूं,
हमें जमीं से मत उखाड़ो।

भगवान कृष्ण के संदर्भ में कुछ छंद

भगवान कृष्ण के प्रकटीकरण के  संदर्भ में कुछ पंक्तियां


प्रगटे मधुसूदन है या मथुरा मथुरा एक पावन धाम भई,जब श्याम की  झांई परी तन पर जमुना जल की  द्वित श्याम भई,मुरलीधर की मुरली सुनकर सब बावरी सी ब्रजबाम भई,ओ नंद नंदन के पद वंदन सो ब्रज की रज पुण्य ललाम भाई,
और कहते हैं जब भगवान कृष्ण मुरली बजाया करते थे कुंजों में तो गोपियां और राधा जी जिस हाल में होती थी बावली सी चल देती थी उनकी मुरली की धुन पर एक छंद प्रस्तुत है.........

मुरलीधर की मुरली सुनी के वृषभानु लली घर से निकली,धारणी पर धरे पद पंकज तो मकरंद की गंध बयार चली,मुखचंद्र निहार निहार खिली कहूं चंपा कहूं कचनार कली,जब दृष्टि में राधिका रानी बसी सब सृष्टि लगी बदली बदली ll
 और मुझे ऐसा लगता है कि मीरा के प्रेम से बड़ा सृष्टि में कोई उदाहरण मुझे प्रेम का नहीं लगता है  तो कुछ छंद मैं मीरा और कृष्ण भगवान के प्रस्तुत  करता हूं........
श्याम के नाम को थाम के प्रीत के धाम में नाम कमाई गई मीरा,जीवन के एक तार के तार में एक ही नाम रमाई गई मीरा, जोगी जपी और तपी सबके कर प्रीत की रीत थमा गई मीरा,प्राण समाए जो श्याम उन्ही में शरीर समेत समा गई मीरा,औ धूल भरी गलियों में फिरी सुख-वैभव बीच पली हुई मीरा,साज समाज के रोके रुकी नहीं प्रीत के पंत चली हुई मीरा,औ राग विराग के बीच रही अनुराग के सांचे ढली हुई मीरा,मोहन मोहन गाती हुई मन मोहन की मुरली हुई मीरा,औ जोड़ लिया मनमोहन से मन मीरा हुई मधुरा मुरली सी,झांझ मंजीरा बजावत गावत नाचे प्रेम पगी पगली सी,श्याम के रंग रंगी सी लगे  कहूं प्रेम के ढंग में Dole डली सीऔ देह खिली कचनार कली सी तो बोली भाई मिश्री की डली सी ll
औ अंतिम पंक्तियों के माध्यम से मैं राधा और मीरा दोनों के प्रति अपने प्रणाम निवेदन करती हूं उनके प्रेम के प्रति प्रस्तुत है......
राधा ने रास रचाया तो मीरा ने मोहन का गुणगान ही गाया,राधा ने मान श्याम से मान किया था तो मीरा ने मान गुमान भुलाया,राधा और श्याम तो एक ही तत्व थे माया ने सारा यह खेल खिलाया,औ मीरा सजीव मिली घनश्याम से तेज में तेज का बिंदु समाया ll
Amiably-S.K.Arya Mo-9450195881

विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता

विश्व पर्यावरण दिवस पर कविता

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे।
इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे।
हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो,
खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…
कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे।
सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे।
वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना,
दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…
हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे।
हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे।
जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो,
जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…
वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे।
जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे।
जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा,
कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे।।
करके ऐसा काम दिखा दो…

Thursday 30 May 2019

हिरण्यगर्भ सृष्टि से पहले विद्यमान ऋग्वेद सूक्ति 121

हिरण्यगर्भ: समवर्तताग्रे भूतस्य जात: पतिरेकासीत्।
स दाधारं पृथ्वीं ध्यामुतेमां कस्मै देवाय हविषा विधेम्।।
(प्रथम श्लोक, हिरण्यगर्भ सूक्तम, ऋगवेद, दशम मण्डल, सूक्त -121)

वो था हिरण्यगर्भ, सृष्टि से पहले विद्यमान
वहीं तो सारे भूत जात का स्वामी महान

जो हैं अस्तित्वमान, धरती- आसमान धारण कर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर।

जिसके बल पर तेजोमय है अम्बर
पृथ्वी हरी-भरी, स्थापित, स्थिर
स्वर्ग और सूरज भी स्थिर।
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर।

गर्भ में अपने अग्रि धारण कर, पैदा कर,
व्यापा था जल इधर-उधर, नीचे ऊपर
जगा जोे देवों का एकमेव प्राण बनकर,
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हवि देकर।

ऊं!!

सृष्टि निर्माता, स्वर्ग रचयिता, पूर्वज रक्षा कर
सत्य धर्म पालक, अतुल जल नियामक रक्षा कर।
फैली है दिशाएं बाहु जैसी उसकी सब में, सब पर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर।
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हवि देकर..।

सृष्टि से पहले सत नहीं था,असत भी नहीं

नासदासीनन्नोसदासीत्तानीम नासीद्रोजो नो व्योमा परो यत।
किमावरीव: कुहकस्यशर्मन्नम्भ: किमासीद्गगहनं गभीरम्।।
(नासदीय सूक्त, ऋगवेद, दशम् मंडल, सूक्त- 129)

सृष्टि से पहले सत् नहीं था,
असत् भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं,
आकाश भी नहीं था।

छिपा था क्या, कहां,
किसने ढका था।
उस पल तो अगम, अतल
जल भी कहां था।

नहीं थी मृत्यु,
थी अमरता भी नहीं।
नहीं था दिन, रात भी नहीं
हवा भी नहीं।
सांस थी स्वयमेव फिर भी,
नहीं था कोई, कुछ भी।
परमतत्व से अलग, या परे भी।

अंधेरे में अंधेरा, मुंदा अंधेरा था,
जल भी केवल निराकार जल था।
परमतत्व था, सृजन कामना से भरा
ओछे जल से घिरा।
वही अपनी तपस्या की महिमा से उभरा।

परम मन में बीज पहला जो उगा,
काम बनकर वह जगा।
कवियों, ज्ञानियों ने जाना
असत् और सत् का, निकट सम्बन्ध पहचाना।

पहले सम्बन्ध के किरण धागे तिरछे।
परमतत्व उस पल ऊपर या नीचे।
वह था बटा हुआ,
पुरुष और स्त्री बना हुआ।

ऊपर दाता वही भोक्ता
नीचे वसुधा स्वधा
हो गया।।

सृष्टि ये बनी कैसे,
किससे
आई है कहां से।
कोई क्या जानता है,
बता सकता है?

देवताओं को नहीं ज्ञात
वे आए सृजन के बाद।

सृष्टि को रचा है जिसने,
उसको, जाना किसने।


सृष्टि का कौन है कर्ता,
कर्ता है व अकर्ता?
ऊंचे आकाश में रहता,
सदा अध्यक्ष बना रहता।
वहीं सचमुच में जानता
या नहीं भी जानता।
है किसी को नहीं पता,
नहीं पता,
नहीं हैं पता,
नहीं हैं पता।

Sunday 31 March 2019

कार्यक्रम शायरियां

आइए कुछ काम विशेष करते हैं
रोशन यह गांव गली मोहल्ला और देश करते हैं
गणपति गजानन जी महाराज को याद करते हुए,
हम आज के इस कार्यक्रम का श्रीगणेश करते हैं!!

हाथों में गीता बाईबिल और कुरान रखता हूं,
मैं मेरे दिल में हर जाति पाति धर्म पंथ मजहब का सम्मान रखता हूं,
अरे होगा कोई और जो दिल में रखता होगा कुछ और,
मैं मेरे दिल में सबसे पहले हिंदुस्तान रखता हूं!!

बहुत रोते हैं लेकिन दामन हमारा कभी नम नहीं होता,
इन आंखों के बाहर कोई मौसम नहीं होता,
हजारों हजार दुश्मनों के बीच भी महफूज रहता हूं,
क्योंकि मां वैष्णो देवी की दुआओं का खजाना कभी कम नहीं होता!!

करता हूं व्यापार तो हानियां बहुत हैं,
और जीता हूं जिंदगी तो परेशानियां बहुत है,
फिर भी ना रुकता हूं मैं झुकता हूं और बढ़ता हूं हमेशा आगे,
क्योंकि मुझ पर मेरी मां की मेहरबानियां बहुत अधिक है!!

कि कंगन और रोली का श्रृंगार नहीं होता,
अरे रक्षाबंधन और होली का त्यौहार भी नहीं होता,
रह जाते हमारे और आपके घर सुने सुने,
अगर घर में इन बेटियों का उतार नहीं होता!!

बिन देखे तेरी तस्वीर बना सकते हैं,
और बिना देखे तेरा हाल बता सकते हैं,
अरे उत्तर प्रदेश में बाराबंकी वालों की है वह ताकत,
कि फुटपाथ के फकीर को भी कोहिनूर बना सकते हैं!!

मां की दुआ कभी खाली नहीं जाती,
और बाप की बद्दुआ कभी टाली नहीं जाती,
बर्तन मांज कर मजदूरी करके मां पाल लेती है चार चार बेटे,
मगर चार चार बेटों से एक मां पाली नहीं जाती!!

मां भारती की सेवा और सम्मान के लिए घर बार छोड़ देंगे हम,
बनकर भगत सिंह और सुभाष बोस दुश्मनों की गर्दन मरोड़ देंगे हम,
अरे पुजारी हैं हम हिंद की माटी के और सेनानी है राणा प्रताप की हल्दीघाटी के,
मां भारती पर जिसने भी डाले डोरे उनकी आंखें फोड़ देंगे हम!!

अरे दुनिया हमारी दीवानी है
और खून से लिखी हमने कहानी है,
जब भी जुबान खोलो एक ही बात बोलो,
हम सब हिंदुस्तानी हैं!!

मेरे गांव का नीम का पेड़ चंदन से कम नहीं है,
और मेरे बाराबंकी सा कामगार मैदान लंदन और अमेरिका से कम नहीं है!!

डोरी बनती तार तार से और होती बड़ी मजबूत है ,
और हाथी भी उससे काबू में रहता यह संगठन का सबूत है!!

जमाने में मिलते हैं कई आशिक मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
अरे नोटों से लिपट कर और सोने से सिमट कर मर गए कई लोग,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता!!
भारत माता की जय....

कर्म भूमि में कर्म सभी को करना पड़ता है,
ऊपर वाला सिर्फ लकीरें देता है,
रंग हम को भरना पड़ता है!!

रात ही रात में इंसान बदल जाता है,
बात ही बात में विश्वास बदल जाता है,
कंधे से कंधा मिलाकर काम करे दोस्तों,
तो यह धरती तो क्या आकाश बदल जाता है!!

मेरा देश आजाद हुआ है वंदे मातरम के नारों से,
और अनमोल आजादी पाई है भारत माता के जयकारों से,
अपनी औकात में रहे कह दो उन देशद्रोही दुश्मन और गद्दारों से,
वरना अब हर एक बात होगी राणा प्रताप की तलवारों से!!
भारत माता की जय!

वह पथ क्या कुशलता क्या,
जिस पथ पर बिखरे शूल न हों,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,
जब धाराएं प्रतिकूल ना हो!!

खुदा के रहमों करम पर हम नाज करते हैं,
वही मालिक है जिसके नाम से हर काम का आगाज करते हैं,
जिंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,
पांव बक्से हैं तो तोहफे के सफर भी देना,
गुफ्तगू तू ने सिखाई है मैं गूंगा था अब बोलूंगा तो बातों में असर भी देना!!

रोशनी मुकद्दर में हो तो अंधेरे लौट ही जाते हैं,
हौसले बुलंद हो तो रास्ते फिर खुल ही जाते हैं,
तू मानता है तू जीत नहीं सकता,
पर यू हार कर बैठना तुझे कमजोर बना देगा,
एक बार मैदान में आने की हिम्मत तो कर तेरा पहला हौसला तुझ में जीतने का जुनून जगा देगा!!

सपने उनके सच होते हैं जिनके सपनों में जान होती है,
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है!!

S.K.Arya
9450195881

Monday 25 March 2019

मुक्तक

दिले बीमार सही हो वो दवाएं दे दे,
मै सब पे प्यार लुटाओ वो दुआएं दे दे,
ए मेरे रब मैं सांस सांस में महक जाऊं,
मेरी आवाज की खुशबू को हवाएं दे दे!!

तू हवा है तो करले अपने हवाले मुझको,
इससे पहले कि कोई और ना बहा ले मुझको,
आईना बन के गुजारी है जिंदगी मैंने,
टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको!!

आपके नाम ने ही बंद मेरी हिचकियां कर दी,
धूप के होठ पर पानी की बदलियां कर दी,
हर तरफ फूल है खुशबू है खुशनुमा मौसम,
आपने जून के मौसम में सर्दियां कर दी!!

सोचता था कि मैं तुम गिर के संभल जाओगे,
रोशनी बन के अंधेरों को निगल जाओगे,
ना तो मौसम थे ना हालात न तारीख न दिन,
किसे पता था कि तुम ऐसे बदल जाओगे!!

प्यास बुझ जाए तो शबनम खरीद सकता हूं,
जख्म मिल जाए तो मरहम खरीद सकता हूं,
ये मानता हूं कि मैं दौलत नहीं कमा पाया,
मगर तुम्हारा हर एक गम खरीद सकता हूं!!

तू जो ख्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे,
ग़म के मरुस्थल में भी बरसात का रेला कर दे,
याद वो है ही नहीं आए जो तनहाई में,
तेरी याद आए तो मेले में भी अकेला कर दे!!

जो आज कर गई घायल वो हवा कौन सी है,
जो दर्दे दिल करे सही वो दवा कौन सी है,
तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया,
अब जरा ये तो बता दो कि दफा कौन सी है!!

मेरा मुक्तक मेरे लहजे में गा लिया होगा,
दर्द उसने मेरी तरह दबा लिया होगा,
उसकी तल्खी में हुआ कैसे तरन्नुम पैदा,
उसने गुस्से में मेरा खत चबा लिया होगा!!

अभी जाने दो मुझे बाद में फिर आऊंगा,
साथ ले जाकर तुम्हें वो जगह दिखाऊंगा,
दिल के मंदिर में जहां आरती हुई ना कभी,
तुम्हारे हाथ से मैं एक दीया जलाऊंगा!!

लकीरे अपने हाथ की जो पढ़ नहीं सकते,
हवा खिलाफ हो तो उससे लड़ नहीं सकते,
जो अपने घर में बुजुर्गों की करे अनदेखी,
मेरा दावा है वो आगे बढ़ नहीं सकते!!

बदलते वक्त में ये कैसा दौर आया है,
हमी से दूर हो रहा हमारा साया है,
आज हम उनकी जुबा पे लगा रहे हैं बंदिश,
जिन बुजुर्गों ने हमें बोलना सिखाया है!!

जिंदगी अपनी बना लीजिए हवन की तरह,
प्यार गैरों पर भी बरसाईए सावन की तरह,
कल को औलाद देख सकती है चेहरा इसमें,
खुद को रखिए साफ पोछकर दर्पण की तरह!!

S.K.Arya                             सक्सेना जी
9450195881 

Wednesday 27 February 2019

प्रेम गीत

चांदनी रात में रंग ले हाथ में
जिंदगी को नया मोड़ दे
तुम हमारी कसम तोड़ दो
हम तुम्हारी कसम तोड़ दे

प्यार की होड़ में दौड़ कर देखिए
झूठे बंधन सभी तोड़ कर देखिए
श्याम रंग में जो मीरा ने चुनर रंगी
वही चुनर जरा ओढ़ कर देखिए
तुम अगर साथ दो हाथ में हाथ दो
तो सारी दुनिया को हम छोड़ दे
हम तुम्हारी कसम तोड़ दे
तुम हमारी कसम तोड़ दे

देखिए मस्त कितनी बसंती छटा
रंग से रंग मिलकर है बनती घटा
सिर्फ 2 अंक का प्रश्न हल को मिला
जोड़ करना था तुमने दिया है घटा
एक है अंक हम एक हो अंक तुम
आओ दोनों को यूं जोड़ दें
तुम हमारी कसम तोड़ दो
हम तुम्हारी कसम तोड़ दे

आओ मेहंदी महावर की शादी करें
उम्र भर साथ रहने का आदी करें 
फूल से पंखुड़ी अब ना होगी अलग
सारे गुलशन में यह मनादी करें
कि हम को जितना दिखा
सिर्फ तुम को लिखा
अब यह पन्ना यूं ही मोड़ दे
तुम हमारी कसम तोड़ दो 
हम तुम्हारी कसम तोड़ दे!

Friday 18 January 2019

मां पर कविता

कि मेरी आंखों का तारा ही मुझे आंखें दिखाता है जिसे हर एक खुशी दे दी वह हर गम से मिलाता है जुबां से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं मां हूं सिखाया बोलना जिसको वह चुप रहना सिखाता है सुला कर सोती थी जिसको वह रात भर जगाता है सुनाई लोरियां जिसको वह अब ताने सुनाता है सिखाने में उसे क्या कुछ कमी रही सोचू जिसे गिनती सिखाई वह गलतियां मेरी गिनाता है गहरी छांव है गर जिंदगी एक धूप है अम्मा धरा पर अब कहां तुझसा कोई स्वरुप है अम्मा अगर ईश्वर कहीं पर है उसे देखा कभी किसने धरा पर तो तुम ही ईश्वर का कोई स्वरूप है अम्मा ना यह ऊंचाई सच्ची है ना यह आधार सच्चा है न कोई चीज है सच्ची ना यह संसार सच्चा है मगर धरती से अंबर तक युगों से लोग कहते हैं अगर सच्चा है कुछ जग में तो मां का प्यार सच्चा है जरा सी देर होने पर सभी से पूछती अम्मा पलक झपके बिना दरवाजा घर का ताकती अम्मा हर एक आहट पर उसका चौक पड़ना और दुआ देना मेरे घर लौट आने तक बराबर जागती अम्मा सुलाने के लिए मुझको तो खुद जागी रही अम्मा सराहने देर तक अक्सर मेरे बैठी रही अम्मा मेरे सपनों में परियां फूल तितली सब अभी तक हैं मुझे आंचल में अपने अब तक लेती रही अम्मा बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी मां कमी थी पर बड़ी खुशियां जुटाना जानती थी अम्मा मैं खुशहाली में भी रिश्तो में बस दूरी बना पाया गरीबी मैं भी हर रिश्ता निभाना जानती अम्मा लगा बचपन में यूं अक्सर मुकद्दर ही अंधेरा है मगर मां हौसला देकर यू बोली तुम को क्या डर है कोई आगे निकलने के लिए रास्ता नहीं देगा मेरे बच्चों बढ़ो आगे तुम्हारे साथ ईश्वर है किसी के जख्म यह दुनिया तो अब सीटी नहीं अम्मा सभी दिल में कहीं अब प्रीत खिलती नहीं अम्मा मैं अपनापन ही अक्सर ढूंढता रहता हूं रिश्तो में तेरी निश्छल सी ममता तो कहीं मिलती नहीं अम्मा गमों की भीड़ में भी हमें हंसना सिखाया था जिसके दम से तूफानों ने अपना सर झुकाया था किसी के जुल्म के आगे कभी झुकना नहीं  बेटे सितम की उम्र छोटी है मुझे मां ने सिखाया था भरे घर में तेरी आहट कहीं मिलती नहीं अम्मा मेरे हाथों की नरम आहट कहीं मिलती नहीं अम्मा मैं तन पर लादे फिरता हूं दुशाले रेशमी लेकिन तेरी गोदी की गर्माहट कहीं मिलती नहीं अम्मा तेरी तैरती निश्छल सी वह बातें नहीं है अब मुझे आशीष देने को तेरी बाहें नहीं है अब मुझे ऊंचाइयों पर सारी दुनिया देखती है पर तरक्की देखने को बस तेरी आंखें नहीं है अब! 

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माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा हाथों की लकीरें बदल जायेंगी ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी हो खुदा प...