एक जवान जो कि सीमा पर शहीद हो जाता है उसके घर में उसकी मां होती है और उसकी बहन है वह जवान मरते-मरते एक खत लिखता है अपनी मां के नाम हलाकि इस विषय को बहुत लोगों ने अपनी कविता का रुप दिया है लेकिन मैं पहली बार इस विषय को विषयांतर करते हुए एक कविता लिखता हूं पढ़िएगा........
सीमा पर एक जवान जो शहीद हो गया,संवेदनाओं के कितने बीज बो गया l
तिरंगे में लिपटी लाश उसके घर पर आ गई ,सिहर उठी हवाएं उदासी छा गयी l
तिरंगे में रखा खत जो उसकी मां को दिख गया ,मरता हुआ जवान जो उस खत पर लिख गया l
बलिदान को अब आसुओं से धोना नहीं है, तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है ll
क्या याद आता है उसे.........
मुझको याद आ रहा है तेरा उंगली पकड़ना कंधे पर बिठाना मुझे बाहों में जकड़ना l
पगडंडियों पर खेतों की मैं तेज भागता सुनने को कहानी तेरी रातों को जागता l
पर बिन सुने कहानी तेरा लाल सो गया सोचा था तूने और कुछ और हो गया l
मुझ सा कोई घर में तेरे खिलौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
उसकी मां उसके लिए सेहरा बना रही थी किंतु जब फिर से लौट आएगा तो मैं तेरी शादी करूंगी वह नहीं आता है उसकी खबर आती है तब देखिएगा पंक्तियां........
सोचा था तूने अपने लिए बहु लाएगी पोते को अपने हाथों से झूला झूल आएगीl
तुतलाती बोली पोते की सु न सकी मां आंचल में अपने कलियां तू चुन न सकी मां l
ना रंगोली सजी घर पर न घोड़े पर मैं चढ़ा पतंग पर सवार हो यमलोक चल पड़ा l
वहां मां तेरे आंचल का तो बिछौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
हमेशा अपनी बहन से झगड़ता था आज वह अपनी बहन के लिए कहता है......
बहना से कहना राखी पर याद ना करें किस्मत को ना कोसे कोई फरियाद ना करें l
अब कौन है उसे चोटी पकड़कर चिढ़आएगा अब कौन भाई दूज का निवाला खाएगा l
कहना कि बनकर भाई अबकी बार आऊंगा सुहाग वाली चुनरी अबकी बार लाऊंगा l
अब भाई और बहन में मेल होना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
इस गीत को क्यों लिखा मेरे इस हिंदुस्तान की पंगु प्रशासनिक राजनीतिक व्यवस्था सैनिक इतना कुछ करता है देश के लिए बदले में क्या मिलता है अगली पंक्तियां पढ़िएगा..........
तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगीl
सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ बना हुआ है देश में.........
सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगी चौराहों पर तुझको तमाशा बनाएगी l
अस्पतालों स्कूलों के नाम रखेगी अनमोल शहादत का कुछ दाम रखेगी l
दलालों की दलाली पर तू थूक देना मां बेटे की मौत की कोई कीमत न लेना मां l
भूखे भले मखमल पे हमको सोना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
सिद्धार्थ देवल
(Your S.K.ARYA)
Mo-9450195881
सीमा पर एक जवान जो शहीद हो गया,संवेदनाओं के कितने बीज बो गया l
तिरंगे में लिपटी लाश उसके घर पर आ गई ,सिहर उठी हवाएं उदासी छा गयी l
तिरंगे में रखा खत जो उसकी मां को दिख गया ,मरता हुआ जवान जो उस खत पर लिख गया l
बलिदान को अब आसुओं से धोना नहीं है, तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है ll
क्या याद आता है उसे.........
मुझको याद आ रहा है तेरा उंगली पकड़ना कंधे पर बिठाना मुझे बाहों में जकड़ना l
पगडंडियों पर खेतों की मैं तेज भागता सुनने को कहानी तेरी रातों को जागता l
पर बिन सुने कहानी तेरा लाल सो गया सोचा था तूने और कुछ और हो गया l
मुझ सा कोई घर में तेरे खिलौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
उसकी मां उसके लिए सेहरा बना रही थी किंतु जब फिर से लौट आएगा तो मैं तेरी शादी करूंगी वह नहीं आता है उसकी खबर आती है तब देखिएगा पंक्तियां........
सोचा था तूने अपने लिए बहु लाएगी पोते को अपने हाथों से झूला झूल आएगीl
तुतलाती बोली पोते की सु न सकी मां आंचल में अपने कलियां तू चुन न सकी मां l
ना रंगोली सजी घर पर न घोड़े पर मैं चढ़ा पतंग पर सवार हो यमलोक चल पड़ा l
वहां मां तेरे आंचल का तो बिछौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
हमेशा अपनी बहन से झगड़ता था आज वह अपनी बहन के लिए कहता है......
बहना से कहना राखी पर याद ना करें किस्मत को ना कोसे कोई फरियाद ना करें l
अब कौन है उसे चोटी पकड़कर चिढ़आएगा अब कौन भाई दूज का निवाला खाएगा l
कहना कि बनकर भाई अबकी बार आऊंगा सुहाग वाली चुनरी अबकी बार लाऊंगा l
अब भाई और बहन में मेल होना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
इस गीत को क्यों लिखा मेरे इस हिंदुस्तान की पंगु प्रशासनिक राजनीतिक व्यवस्था सैनिक इतना कुछ करता है देश के लिए बदले में क्या मिलता है अगली पंक्तियां पढ़िएगा..........
तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगीl
सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ बना हुआ है देश में.........
सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगी चौराहों पर तुझको तमाशा बनाएगी l
अस्पतालों स्कूलों के नाम रखेगी अनमोल शहादत का कुछ दाम रखेगी l
दलालों की दलाली पर तू थूक देना मां बेटे की मौत की कोई कीमत न लेना मां l
भूखे भले मखमल पे हमको सोना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
सिद्धार्थ देवल
(Your S.K.ARYA)
Mo-9450195881
I feel much better now to study this poetry
ReplyDeleteThanks
ReplyDelete❤️❤️👍👍👍
ReplyDelete👍👍👍👍👍👍❤️❤️❤️❤️
ReplyDelete💪💪💪💪🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
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