Wednesday 21 March 2018

सरस्वती वंदना एवं मंत्र

 सरस्वती का शुभ श्वेत धवल रूप जो वेदों में वर्णित किया गया है-

या कुंदेंदु-तुषार हार धवला,
या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणा वर दंड मंडित करा,
या श्वेतपद्मासना,
या ब्रह्माच्युत प्रवृत्ति  देवें सदा वंदिता,
सा मां पातु सरस्वति भगवति नि:शेष जाड्या पहा ll

 अर्थात
देवी सरस्वती शीतल चंद्रमा की किरणों से गिरती हुई ओस की बूंदों के श्वेत हार से सुसज्जित शुभ वस्त्रों से आवृत हाथों में वीणा धारण किए हुए वर मुद्रा में अति  स्वेत कमल रूपी आसन पर विराजमान है शारदा देवी,ब्रह्मा,शंकर   औचित्य आदि देवताओं द्वारा भी सदा ही वंदनीय है ऐसी देवी सरस्वती हमारी बुद्धि की जड़ता को नष्ट करके हमें तीक्ष्ण बुद्धि एवं कुशाग्र मेधा से युक्त करेंl

सरस्वती  मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्ली` महासरस्वती देव्यै नमः ll

इस मंत्र के जाप से जन्म कुंडली के लग्न( प्रथम भाव ),पंचम( विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैंl

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