धर्म के पक्ष में कविता
मंजिलें हैं एक सभी पथिको का सुनो बंधु कहता हूं जाने वाले रास्ते अनेक हैं,
मानवों को बांटते हैं जातिवाद,धर्मवाद मेरा मानना है यह तो मानवों का टेक हैll
ईश्वर के कई नाम राम व रहीम,पर साई जी ने कहा था कि मालिक तो एक है,
जातिवाद,धर्मवाद,क्षेत्रवाद नेक नहीं कर्म यदि नेक है तो तो सारा जग नेक है ll
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