Monday 23 July 2018

प्रेम पर हास्य व्यंग2

मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे, फांस के अपने जाल में पूरा कर गई तू बर्बाद मुझे,
दसवीं कि इम्तहान में तूने फूल फेंक कर मारा था,
देखा तेरी और उसी पल और दिल यह अपना हारा था, तुरंत बाद में तूने अपनी बाईं आंख भी मारी थी,
तहस-नहस हो गई पूरी अरे मेरी जो तैयारी थी,
तेरी ओर क्या देखा समझो भाग्य ही मेरा फूट गया,
बस तुझ पर ध्यान रहा मेरा और पेपर पूरा छूट गया,
फिर चारों ओर से मिल कर सब ने मेरी बहुत खिंचाई की, टीचर ने भी छड़ी घुमा कर मेरी बहुत पिटाई की,
मम्मी ने तो थप्पड़ मारा था पर पापा ने लात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता मैं तुझको हर बात है तेरी याद मुझे 

जैसे तैसे दसवीं कर में 11वीं की ओर चला,
फिर 2 साल तक अपने बीच में प्रेम पत्र का दौर चला पढ़ता था विज्ञान किंतु मैं रूप में तेरे भटक गया,
वही हुआ परिणाम कि मैं इस बार भी फिर से लटक गया इंजीनियर बनने का सपना मेरा चकनाचूर हुआ,
तेरे कारण ही B.A करने को मजबूर हुआ,
जब तक तेरे साथ रहा हां पग पग पर मैं  छला गया,
कहां छात्र विज्ञान का था इतिहास भूगोल में चला गया B.A करके M.Aकरके पीएचडी अब करता हूं,
जहां वैकेंसी मिलती है टीचर की फार्म भरता हूं,
और सहनी पड़ती है सबसे तानों की अब बरसात मुझे,, मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे

 और मेरे जीवन की पूरी हां दिशा को तूने मोड़ दिया अच्छा सबक शिखा के तूने मुझको यूं ही छोड़ दिया,
तेरे कारण ही तो अब मैं कंगाली में रहता हूं,
तू तो मौज उड़ाती है और मैं फाके सहता हूं,
तेरे कारण ही कुल्फी की डंडी  सा अब दिखता हूं,
इस सदमे से कवि बन गया अब मैं कविता लिखता हूं और मैंने तुझको हृदय दिया और तूने हृदयाघात मुझे,
 मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे!!

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