Tuesday 4 June 2019

भगवान कृष्ण के संदर्भ में कुछ छंद

भगवान कृष्ण के प्रकटीकरण के  संदर्भ में कुछ पंक्तियां


प्रगटे मधुसूदन है या मथुरा मथुरा एक पावन धाम भई,जब श्याम की  झांई परी तन पर जमुना जल की  द्वित श्याम भई,मुरलीधर की मुरली सुनकर सब बावरी सी ब्रजबाम भई,ओ नंद नंदन के पद वंदन सो ब्रज की रज पुण्य ललाम भाई,
और कहते हैं जब भगवान कृष्ण मुरली बजाया करते थे कुंजों में तो गोपियां और राधा जी जिस हाल में होती थी बावली सी चल देती थी उनकी मुरली की धुन पर एक छंद प्रस्तुत है.........

मुरलीधर की मुरली सुनी के वृषभानु लली घर से निकली,धारणी पर धरे पद पंकज तो मकरंद की गंध बयार चली,मुखचंद्र निहार निहार खिली कहूं चंपा कहूं कचनार कली,जब दृष्टि में राधिका रानी बसी सब सृष्टि लगी बदली बदली ll
 और मुझे ऐसा लगता है कि मीरा के प्रेम से बड़ा सृष्टि में कोई उदाहरण मुझे प्रेम का नहीं लगता है  तो कुछ छंद मैं मीरा और कृष्ण भगवान के प्रस्तुत  करता हूं........
श्याम के नाम को थाम के प्रीत के धाम में नाम कमाई गई मीरा,जीवन के एक तार के तार में एक ही नाम रमाई गई मीरा, जोगी जपी और तपी सबके कर प्रीत की रीत थमा गई मीरा,प्राण समाए जो श्याम उन्ही में शरीर समेत समा गई मीरा,औ धूल भरी गलियों में फिरी सुख-वैभव बीच पली हुई मीरा,साज समाज के रोके रुकी नहीं प्रीत के पंत चली हुई मीरा,औ राग विराग के बीच रही अनुराग के सांचे ढली हुई मीरा,मोहन मोहन गाती हुई मन मोहन की मुरली हुई मीरा,औ जोड़ लिया मनमोहन से मन मीरा हुई मधुरा मुरली सी,झांझ मंजीरा बजावत गावत नाचे प्रेम पगी पगली सी,श्याम के रंग रंगी सी लगे  कहूं प्रेम के ढंग में Dole डली सीऔ देह खिली कचनार कली सी तो बोली भाई मिश्री की डली सी ll
औ अंतिम पंक्तियों के माध्यम से मैं राधा और मीरा दोनों के प्रति अपने प्रणाम निवेदन करती हूं उनके प्रेम के प्रति प्रस्तुत है......
राधा ने रास रचाया तो मीरा ने मोहन का गुणगान ही गाया,राधा ने मान श्याम से मान किया था तो मीरा ने मान गुमान भुलाया,राधा और श्याम तो एक ही तत्व थे माया ने सारा यह खेल खिलाया,औ मीरा सजीव मिली घनश्याम से तेज में तेज का बिंदु समाया ll
Amiably-S.K.Arya Mo-9450195881

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