नफ़रत की दुनिया को छोड़ के / आनंद बख़्शी
आनंद बख़्शी »
नफ़रत की दुनिया को छोड़ के, प्यार की दुनिया में
खुश रहना मेरे यार
इस झूठकी नगरी को छोड़ के, गाता जा प्यारे
अमर रहे तेरा प्यार
जब जानवर कोई, इनसान को मारे
कहते हैं दुनिया में, वहशी उसे सारे
एक जानवर की जान आज इनसानों ने ली है
चुप क्यूं है संसार
बस आखिरी सुन ले, ये मेल है अपना
बस ख़त्म ऐ साथी, ये खेल है अपना
अब याद में तेरी बीत जाएंगे रो-रो के
जीवन के दिन चार
आनंद बख़्शी »
नफ़रत की दुनिया को छोड़ के, प्यार की दुनिया में
खुश रहना मेरे यार
इस झूठकी नगरी को छोड़ के, गाता जा प्यारे
अमर रहे तेरा प्यार
जब जानवर कोई, इनसान को मारे
कहते हैं दुनिया में, वहशी उसे सारे
एक जानवर की जान आज इनसानों ने ली है
चुप क्यूं है संसार
बस आखिरी सुन ले, ये मेल है अपना
बस ख़त्म ऐ साथी, ये खेल है अपना
अब याद में तेरी बीत जाएंगे रो-रो के
जीवन के दिन चार
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