Saturday 12 October 2019

कोई शहरी बाबू दिल लहरी बाबू

कोई शहरी बाबू दिल-लहरी बाबू / आनंद बख़्शी
 आनंद बख़्शी »

कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

मैं तो चलूँ हौले-हौले
फिर भी मन डोले हाय रे
मेरे रब्बा मैं की कराँ

मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

पनघट पे मैं कम जाने लगी
नटखट से मैं शरमाने लगी
पनघट पे मैं कम जाने लगी
नटखट से मैं शरमाने लगी
धड़कन से मैं घबराने लगी
दरपन से मैं कतराने लगी
मन खाये हिचकोले
ऐसे जैसे नैया डोले हाय रे
मेरे रब्बा मैं की कराँ

मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

सपनों में चोरी से आने लगा
रातों की निंदिया चुराने लगा
सपनों में चोरी से आने लगा
रातों की निंदिया चुराने लगा
नैनों की डोली बिठा के मुझे
ले के बहुत दूर जाने लगा
मेरे घुँघटा को खोले
मीठे-मीठे बोल बोले हाय रे
मेरे रब्बा मैं की कराँ

मैं छम-छम नचदी फिराँ
कोई सहरी बाबू
दिल-लहरी बाबू हाय रे
पग बाँध गया घुँघरू
मैं छम-छम नचदी फिराँ

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