Monday 25 March 2019

मुक्तक

दिले बीमार सही हो वो दवाएं दे दे,
मै सब पे प्यार लुटाओ वो दुआएं दे दे,
ए मेरे रब मैं सांस सांस में महक जाऊं,
मेरी आवाज की खुशबू को हवाएं दे दे!!

तू हवा है तो करले अपने हवाले मुझको,
इससे पहले कि कोई और ना बहा ले मुझको,
आईना बन के गुजारी है जिंदगी मैंने,
टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको!!

आपके नाम ने ही बंद मेरी हिचकियां कर दी,
धूप के होठ पर पानी की बदलियां कर दी,
हर तरफ फूल है खुशबू है खुशनुमा मौसम,
आपने जून के मौसम में सर्दियां कर दी!!

सोचता था कि मैं तुम गिर के संभल जाओगे,
रोशनी बन के अंधेरों को निगल जाओगे,
ना तो मौसम थे ना हालात न तारीख न दिन,
किसे पता था कि तुम ऐसे बदल जाओगे!!

प्यास बुझ जाए तो शबनम खरीद सकता हूं,
जख्म मिल जाए तो मरहम खरीद सकता हूं,
ये मानता हूं कि मैं दौलत नहीं कमा पाया,
मगर तुम्हारा हर एक गम खरीद सकता हूं!!

तू जो ख्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे,
ग़म के मरुस्थल में भी बरसात का रेला कर दे,
याद वो है ही नहीं आए जो तनहाई में,
तेरी याद आए तो मेले में भी अकेला कर दे!!

जो आज कर गई घायल वो हवा कौन सी है,
जो दर्दे दिल करे सही वो दवा कौन सी है,
तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया,
अब जरा ये तो बता दो कि दफा कौन सी है!!

मेरा मुक्तक मेरे लहजे में गा लिया होगा,
दर्द उसने मेरी तरह दबा लिया होगा,
उसकी तल्खी में हुआ कैसे तरन्नुम पैदा,
उसने गुस्से में मेरा खत चबा लिया होगा!!

अभी जाने दो मुझे बाद में फिर आऊंगा,
साथ ले जाकर तुम्हें वो जगह दिखाऊंगा,
दिल के मंदिर में जहां आरती हुई ना कभी,
तुम्हारे हाथ से मैं एक दीया जलाऊंगा!!

लकीरे अपने हाथ की जो पढ़ नहीं सकते,
हवा खिलाफ हो तो उससे लड़ नहीं सकते,
जो अपने घर में बुजुर्गों की करे अनदेखी,
मेरा दावा है वो आगे बढ़ नहीं सकते!!

बदलते वक्त में ये कैसा दौर आया है,
हमी से दूर हो रहा हमारा साया है,
आज हम उनकी जुबा पे लगा रहे हैं बंदिश,
जिन बुजुर्गों ने हमें बोलना सिखाया है!!

जिंदगी अपनी बना लीजिए हवन की तरह,
प्यार गैरों पर भी बरसाईए सावन की तरह,
कल को औलाद देख सकती है चेहरा इसमें,
खुद को रखिए साफ पोछकर दर्पण की तरह!!

S.K.Arya                             सक्सेना जी
9450195881 

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