Thursday, 2 August 2018

भगवान कृष्ण पर कविता


इस महंगाई में कन्हैया यदि आए कहें,

सच कहता हूं रोटी दाल मार डालेगी,

औ रथ ना मिला तो नैनो कार में चलेंगे आप,

ब्रेकरों की राह में उछाल मार डालेगी,

बूढ़ी बूढ़ी दादी जींस टॉप में है चल रही,

सच कहता हूं तुम्हें चाल मार डालेगी,

ओ 2-2 SIM वाले है मोबाइल गोपियों के हाथ,

पूरी पूरी रात मिस कॉल मार डालेगी!

सुनो घनश्याम पिज्जा बर्गर देख देख , 

चोरी चोरी माखन का खाना भूल जाओगे, 

ओ डांस पार्टी में अर्धनग्न नारियों को देख देख,

नाच नंद रानी को दिखाना भूल जाओगे,

 कि अब बिना DJ के ना गोपियां करेंगी नृत्य,

आप यहां बांसुरी बजाना भूल जाओगे,

औ बदनाम मुन्नी शीला की जवानी देख देख राश वृंदावन में रचाना भूल जाओगे!

Saturday, 28 July 2018

जब बसाने का मन में ना हो हौसला

जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो 

और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो 
वह समंदर नहीं था थे आंसू मेरे जिनमें तुम तैरते और नहाते रहे 
एक हम थे जो आंखों की झील में बस किनारे पर डुबकी लगाते रहे
 मछलियां सब झुलस जाएंगी झील की अपना पूरा बदन मत डुबाया करो 
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो 
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो 
वह हमें क्या संभालेंगे इस भीड़ में जिनसे अपना दुपट्टा संभलता नहीं 
कैसे मन को मैं कह दूं सुकोमल है यह फूल को देखकर जो मचलता नहीं 
और जिनके दीवार-ओ-दर है बने मोम के उनके घर में न दीपक जलाया करो 
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
इन पतंगों को देखो यह उड़ती यहां जब कटेगी तो जाने गिरेगी कहां
 बहती नदियों को खुद भी पता ही नहीं अपने प्रियतम से जाने मिलेगी कहां 
और जिनके होठों पर तुम ना हंसी रख सको उनकी आंखों में आंसू ना लाया करो 
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला  मत बनाया करो और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो 

कबीरदास जी ने कहा ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय हमारे फिल्मी गीतकारों ने प्रेम को इलू इलू में समेट कर रख दिया लेकिन इंग्लिश लिटरेचर में कहा गया Love is not simply word it is containing everything.

प्रेम को ढाई अक्षर का कैसे कहें प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा
 प्रेम होता है दिखता नहीं है मगर प्रेम की ही धुरी पर यह जग है खड़ा 
और प्रेम के इस नगर में जो अनजान हो उसको रास्ते गलत मत बताया करो 
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो 
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो बेवजह डालियां मत हिलाया करोl 
 सक्सेना जी
 संतोष कुमार आर्य
9450195881

Monday, 23 July 2018

प्रेम पर हास्य व्यंग2

मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे, फांस के अपने जाल में पूरा कर गई तू बर्बाद मुझे,
दसवीं कि इम्तहान में तूने फूल फेंक कर मारा था,
देखा तेरी और उसी पल और दिल यह अपना हारा था, तुरंत बाद में तूने अपनी बाईं आंख भी मारी थी,
तहस-नहस हो गई पूरी अरे मेरी जो तैयारी थी,
तेरी ओर क्या देखा समझो भाग्य ही मेरा फूट गया,
बस तुझ पर ध्यान रहा मेरा और पेपर पूरा छूट गया,
फिर चारों ओर से मिल कर सब ने मेरी बहुत खिंचाई की, टीचर ने भी छड़ी घुमा कर मेरी बहुत पिटाई की,
मम्मी ने तो थप्पड़ मारा था पर पापा ने लात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता मैं तुझको हर बात है तेरी याद मुझे 

जैसे तैसे दसवीं कर में 11वीं की ओर चला,
फिर 2 साल तक अपने बीच में प्रेम पत्र का दौर चला पढ़ता था विज्ञान किंतु मैं रूप में तेरे भटक गया,
वही हुआ परिणाम कि मैं इस बार भी फिर से लटक गया इंजीनियर बनने का सपना मेरा चकनाचूर हुआ,
तेरे कारण ही B.A करने को मजबूर हुआ,
जब तक तेरे साथ रहा हां पग पग पर मैं  छला गया,
कहां छात्र विज्ञान का था इतिहास भूगोल में चला गया B.A करके M.Aकरके पीएचडी अब करता हूं,
जहां वैकेंसी मिलती है टीचर की फार्म भरता हूं,
और सहनी पड़ती है सबसे तानों की अब बरसात मुझे,, मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे

 और मेरे जीवन की पूरी हां दिशा को तूने मोड़ दिया अच्छा सबक शिखा के तूने मुझको यूं ही छोड़ दिया,
तेरे कारण ही तो अब मैं कंगाली में रहता हूं,
तू तो मौज उड़ाती है और मैं फाके सहता हूं,
तेरे कारण ही कुल्फी की डंडी  सा अब दिखता हूं,
इस सदमे से कवि बन गया अब मैं कविता लिखता हूं और मैंने तुझको हृदय दिया और तूने हृदयाघात मुझे,
 मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे!!

प्रेम पर हास्य व्यंग

कॉलेज में एक अति सुंदर बाला को देख प्रेम ने जी ले ली अंगड़ाई मेरे मन में,
हर जगह वही दिखती थी मुझे रूप जैसी बस गया था जी उसका मेरे नयन में,
फूल देने गया ही था तभी देख लिया उसके भाई ने जो था चौगुना मेरे वजन में,
ऐसी सेवा की भाई ने की ह्रदय की प्रेम पीड़ा फैल चुकी है जी मेरे पूरे बदन में,
कैसे कैसे धोया उसके भाई ने क्या बताऊं दो का मुझको तो भैया 4 दिखता है अब,
और हीरो कहते थे मुझे कॉलेज में पहले जो कहते हैं बेचारा लाचार दिखता है अब,
और इश्क बाजी छोड़ी तब से यह वैलेंटाइन डे फालतू फिजूल और बेकार दिखता है अब,
और जब भी ब्यूटीफुल कोई लड़की है दिखती तो सीधे-सीधे राखी का त्यौहार दिखता है अब l

Monday, 30 April 2018

भगवान बुद्ध का विचार

मनुष्य तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत ना होना,
वह पराक्रम की परीक्षा है,
तुम तलवार के सामने सिर झुकाने से भयभीत ना होना,
वह बलिदान की कसौटी है,
पर शराब से सदा भयभीत रहना,
क्योंकि वह पाप और अनाचार की जननी है!!
    
S.K.ARYA
9450195881

प्रार्थना

           Arya Ji

मन आज वृंदावन धाम हुआ,
औ मोर पावन जैसे कुंज गली,
औ कमल नयन के हैं नीर नयन में,
औ जब हाल कहें बजरंगबली,
औ भक्त गले भगवान मिले जब,
बागन बीच कुटुंब वली,
औ हनुमान जपें सिया राम सिया,
औ सिया राम कहे बजरंगबली!!!

Sunday, 1 April 2018

अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए पंक्तियां

        अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद ही बदलो यारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों,
एक समय था हम आपस में गीत प्रेम के गाते थे,
कंधों से कंधे मिलते थे मिलजुल कर कदम बढ़ाते थे, 
लड़े लड़ाई आजादी की पीछे कदम न हटे कभी, 
जातिवाद  क्या बाल विवाह व पर्दा प्रथा से लड़े सभी,
पर्दा प्रथा से लड़े सभी!
 हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत की ताकत चारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के  तारों!!

दूसरा बंद उन राजनेताओं के लिए है जो अपने आप को राजनेता कहते हैं लेकिन वह शुद्ध राजनेता नहीं है-

      भूल गए चाणक्य से उद्धत राजनीति की मर्यादा,
बांट रहे हो क्यों भारत के हर कोने आधा-आधा,
भूल गए राणा को जिसने घास की रोटी खाई थी,
बलिवेदी पर बली हो गई रानी लक्ष्मीबाई थी,
राजनीति की मर्यादा यू मत गंदलो ए मक्कारों,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों !!

तीसरा बंद हमारे उन कथित समाजसेवियों के लिए है जो समाज सेवा करने का झूठा तप करते हैं समाज सेवा करने का प्रश्न करता हूं-

     तुम ही बताओ किस बगिया में तुम ने फूल खिलाया है,
तुम ही बताओ किस दुखिया का तुमने मन बहलाया है,
तुम ही बताओ किस भटके को तुमने राह दिखाया है,
अंतर्मन से पूछो किस अनाथ को गले लगाया है,
अहंकार की बू आती है पहले मन से उसे हटाओ,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों!!

चौथा बंद हमारे युवा बंधुओं के लिए है----

          भूल रहे कर्तव्य तुम अपना भूल रहे हो शिष्टाचार,
भूल रहे हो रिश्ते नाते भूल रहे आचार-विचार,
भूल रहे हो जीवन की बगिया तक जाने का रास्ता,
तुम अपने बहुमूल्य समय का दाम लगाते क्यों सस्ता,
अपने कुटिल कलापों से अब यूं ना रंगबाजी झारो,
देश की अपनी लाज बचा लो  मां भारत की आंख के तारों!!
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद को बदलो यारों !!!!

     Your
 S.K.ARYA
9450195881

मां के लिए 4 पंक्तियां

मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी,
रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी,
मुझे मालूम है मैं चलता था और गिरता उठता था,
पकड़कर वह मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी !!

यह मेरा बचपन था जब मैं शिशु अवस्था में था

 नए परिवेश की अंधेरी गलियों में था भरमाया,
यहां ना साथी है कोई समझ कर मैं तो घबराया,
मुझे जब यह लगा कि मैं अकेला हूं जीवन पथ पर,
पीछे मुड़कर देखा तो मेरी मां को खड़ा पाया !!

Santosh Arya
9 4 5 0 1 9 5 8 8 1

Wednesday, 21 March 2018

माता-पिता पर कविता

माता पिता की सेवा करना हमारा  परम कर्तव्य है उनकी सेवा हमें पूर्ण मन और निष्ठा से करनी चाहिए माता पिता के पक्ष में एक कविता प्रस्तुत है......

माता पिता  सेवा करो  ममता के  वृक्ष हैं ये,
छाव पाके  इनका  महान बन जाओगे,
छोड़ो चारों धाम इन्हें ईश्वर बनाओ बंधु,
श्रवण के जैसे इनके प्राण बन जाओगे,
धर करके शीश यदि पा लो आशीष इनका,
पापी शीश के लिए कृपाण बन जाओगे,
पिता के संस्कार ना तो रहे उपकार में तो,
ईसा मसीह,नानक सामान बन जाओगे ll

आपका-
S.K.Arya
Mo-9450195881

सच्चे प्रेम पर कविता

सच्चे प्रेम के पक्ष में कविता


 प्रेम प्रेम करते हैं सभी  प्रेम योगी पर प्रेम परिपाटी को बढ़ाना नहीं जानते,
पहले स प्रेम अब रहा नहीं प्रेमियों में प्रेम कि वह शर्त  निभाना नहीं जानते,
प्रेम को तो मानते हैं ईश्वर का रूप पर प्रेम कि वह कीमत चुकाना नहीं जानते,
झूठे प्रेम योगी काम वासना में लिप्त बली Prem Granth  पैरवी  चढ़ाना नहीं  जानते ll

और प्रेम होना कैसा चाहिए

जैसे रम गए हनुमान राम भक्ति में ऐसे प्रेम भाव का तो  रिश्ता कहां है अब,
श्याम के लिए था प्रेम सभी गोपियों का पर ऐसा प्रेम कहो कहीं कहां दिखता  है अब,
जैसे रम गए हनुमान राम भक्ति में ऐसा प्रेम भाव कहो कहीं कहां दिखता है अब,
श्याम के लिए था प्रेम सभी गोपियों का पर ऐसा प्रेम कहो कहीं कहां दिखता है अब,
मीरा बावरी ने प्रेम की जो परिभाषा लिखी ऐसी परिभाषा कहो कहीं कहां दिखता है अब,
औ शेखर भगत राजगुरु बिस्मिल  सम देश प्रेमी को है रवि कौन दिखता है अब ll

आपका संतोष कुमार आर्या
    (Your S.K.Arya)
    Mo-9450195881AryaHindiKavitasangam.com

धर्म के पक्ष में कविता

 धर्म के पक्ष में कविता

मंजिलें हैं एक सभी पथिको का सुनो बंधु कहता हूं जाने वाले रास्ते अनेक हैं,
मानवों को बांटते हैं जातिवाद,धर्मवाद मेरा मानना है यह तो मानवों का टेक हैll
ईश्वर के कई नाम  राम व रहीम,पर साई जी ने कहा था कि मालिक तो एक है,
जातिवाद,धर्मवाद,क्षेत्रवाद नेक नहीं कर्म  यदि नेक है तो तो सारा जग नेक है ll 

सरस्वती वंदना एवं मंत्र

 सरस्वती का शुभ श्वेत धवल रूप जो वेदों में वर्णित किया गया है-

या कुंदेंदु-तुषार हार धवला,
या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणा वर दंड मंडित करा,
या श्वेतपद्मासना,
या ब्रह्माच्युत प्रवृत्ति  देवें सदा वंदिता,
सा मां पातु सरस्वति भगवति नि:शेष जाड्या पहा ll

 अर्थात
देवी सरस्वती शीतल चंद्रमा की किरणों से गिरती हुई ओस की बूंदों के श्वेत हार से सुसज्जित शुभ वस्त्रों से आवृत हाथों में वीणा धारण किए हुए वर मुद्रा में अति  स्वेत कमल रूपी आसन पर विराजमान है शारदा देवी,ब्रह्मा,शंकर   औचित्य आदि देवताओं द्वारा भी सदा ही वंदनीय है ऐसी देवी सरस्वती हमारी बुद्धि की जड़ता को नष्ट करके हमें तीक्ष्ण बुद्धि एवं कुशाग्र मेधा से युक्त करेंl

सरस्वती  मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्ली` महासरस्वती देव्यै नमः ll

इस मंत्र के जाप से जन्म कुंडली के लग्न( प्रथम भाव ),पंचम( विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैंl

Tuesday, 20 March 2018

भारतीय सैनिक पर कविता

एक जवान जो कि सीमा पर शहीद हो जाता है उसके घर में उसकी मां होती है और उसकी बहन है वह जवान मरते-मरते एक खत लिखता है अपनी मां के नाम हलाकि इस विषय को बहुत लोगों ने अपनी कविता का रुप दिया है लेकिन मैं पहली बार इस विषय को विषयांतर करते हुए एक कविता लिखता हूं पढ़िएगा........

सीमा पर एक जवान जो शहीद हो गया,संवेदनाओं के कितने बीज बो गया l
तिरंगे में लिपटी लाश उसके घर पर आ गई ,सिहर उठी हवाएं उदासी छा गयी l
तिरंगे में रखा खत जो उसकी मां को दिख गया ,मरता हुआ जवान जो उस खत पर लिख गया l
बलिदान को अब आसुओं से धोना नहीं है, तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है ll

 क्या याद आता है  उसे.........

मुझको याद आ रहा है तेरा उंगली पकड़ना कंधे पर बिठाना मुझे बाहों में जकड़ना l
पगडंडियों पर खेतों की मैं तेज भागता सुनने को कहानी तेरी रातों को जागता l
पर बिन सुने कहानी तेरा लाल सो गया सोचा था तूने और कुछ और हो गया l
मुझ सा कोई घर में तेरे खिलौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll

उसकी मां उसके लिए सेहरा बना रही थी किंतु जब फिर से लौट आएगा तो मैं तेरी शादी करूंगी वह नहीं आता है उसकी खबर आती है तब देखिएगा पंक्तियां........

सोचा था तूने अपने लिए बहु लाएगी पोते को अपने हाथों से झूला झूल आएगीl
तुतलाती बोली पोते की सु न सकी मां आंचल में अपने कलियां तू चुन न सकी मां l
ना रंगोली सजी घर पर न घोड़े पर मैं चढ़ा पतंग पर सवार हो यमलोक चल पड़ा l
वहां मां तेरे आंचल का तो बिछौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl

 हमेशा अपनी बहन से झगड़ता था आज वह अपनी बहन के लिए कहता है......

बहना से कहना राखी पर याद ना करें किस्मत को ना कोसे कोई फरियाद ना करें l
अब कौन है उसे चोटी पकड़कर चिढ़आएगा अब कौन भाई दूज का निवाला खाएगा l
कहना कि बनकर भाई अबकी बार आऊंगा सुहाग वाली चुनरी अबकी बार लाऊंगा l
अब भाई और बहन में मेल होना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl

इस गीत को क्यों लिखा मेरे इस हिंदुस्तान की पंगु प्रशासनिक राजनीतिक व्यवस्था सैनिक इतना कुछ करता है देश के लिए बदले में क्या मिलता है अगली पंक्तियां पढ़िएगा..........

तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगीl

सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ बना हुआ है देश में.........

सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगी चौराहों पर तुझको तमाशा बनाएगी l
अस्पतालों स्कूलों के नाम रखेगी अनमोल शहादत का कुछ दाम रखेगी l
दलालों की दलाली पर तू थूक देना मां बेटे की मौत की कोई कीमत न लेना मां l
भूखे भले मखमल पे हमको सोना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
 सिद्धार्थ देवल
(Your S.K.ARYA)
 Mo-9450195881

Featured post

मेरी मां प्यारी मां मम्मा

माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा हाथों की लकीरें बदल जायेंगी ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी हो खुदा प...