Thursday 2 August 2018
Saturday 28 July 2018
जब बसाने का मन में ना हो हौसला
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह समंदर नहीं था थे आंसू मेरे जिनमें तुम तैरते और नहाते रहे
एक हम थे जो आंखों की झील में बस किनारे पर डुबकी लगाते रहे
मछलियां सब झुलस जाएंगी झील की अपना पूरा बदन मत डुबाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह हमें क्या संभालेंगे इस भीड़ में जिनसे अपना दुपट्टा संभलता नहीं
कैसे मन को मैं कह दूं सुकोमल है यह फूल को देखकर जो मचलता नहीं
और जिनके दीवार-ओ-दर है बने मोम के उनके घर में न दीपक जलाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
इन पतंगों को देखो यह उड़ती यहां जब कटेगी तो जाने गिरेगी कहां
बहती नदियों को खुद भी पता ही नहीं अपने प्रियतम से जाने मिलेगी कहां
और जिनके होठों पर तुम ना हंसी रख सको उनकी आंखों में आंसू ना लाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो
कबीरदास जी ने कहा ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय हमारे फिल्मी गीतकारों ने प्रेम को इलू इलू में समेट कर रख दिया लेकिन इंग्लिश लिटरेचर में कहा गया Love is not simply word it is containing everything.
प्रेम को ढाई अक्षर का कैसे कहें प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा
प्रेम होता है दिखता नहीं है मगर प्रेम की ही धुरी पर यह जग है खड़ा
और प्रेम के इस नगर में जो अनजान हो उसको रास्ते गलत मत बताया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो बेवजह डालियां मत हिलाया करोl
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह समंदर नहीं था थे आंसू मेरे जिनमें तुम तैरते और नहाते रहे
एक हम थे जो आंखों की झील में बस किनारे पर डुबकी लगाते रहे
मछलियां सब झुलस जाएंगी झील की अपना पूरा बदन मत डुबाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह हमें क्या संभालेंगे इस भीड़ में जिनसे अपना दुपट्टा संभलता नहीं
कैसे मन को मैं कह दूं सुकोमल है यह फूल को देखकर जो मचलता नहीं
और जिनके दीवार-ओ-दर है बने मोम के उनके घर में न दीपक जलाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
इन पतंगों को देखो यह उड़ती यहां जब कटेगी तो जाने गिरेगी कहां
बहती नदियों को खुद भी पता ही नहीं अपने प्रियतम से जाने मिलेगी कहां
और जिनके होठों पर तुम ना हंसी रख सको उनकी आंखों में आंसू ना लाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो
कबीरदास जी ने कहा ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय हमारे फिल्मी गीतकारों ने प्रेम को इलू इलू में समेट कर रख दिया लेकिन इंग्लिश लिटरेचर में कहा गया Love is not simply word it is containing everything.
प्रेम को ढाई अक्षर का कैसे कहें प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा
प्रेम होता है दिखता नहीं है मगर प्रेम की ही धुरी पर यह जग है खड़ा
और प्रेम के इस नगर में जो अनजान हो उसको रास्ते गलत मत बताया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो बेवजह डालियां मत हिलाया करोl
सक्सेना जी
संतोष कुमार आर्य
9450195881
Monday 23 July 2018
प्रेम पर हास्य व्यंग2
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे, फांस के अपने जाल में पूरा कर गई तू बर्बाद मुझे,
दसवीं कि इम्तहान में तूने फूल फेंक कर मारा था,
देखा तेरी और उसी पल और दिल यह अपना हारा था, तुरंत बाद में तूने अपनी बाईं आंख भी मारी थी,
तहस-नहस हो गई पूरी अरे मेरी जो तैयारी थी,
तेरी ओर क्या देखा समझो भाग्य ही मेरा फूट गया,
बस तुझ पर ध्यान रहा मेरा और पेपर पूरा छूट गया,
फिर चारों ओर से मिल कर सब ने मेरी बहुत खिंचाई की, टीचर ने भी छड़ी घुमा कर मेरी बहुत पिटाई की,
मम्मी ने तो थप्पड़ मारा था पर पापा ने लात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता मैं तुझको हर बात है तेरी याद मुझे
जैसे तैसे दसवीं कर में 11वीं की ओर चला,
फिर 2 साल तक अपने बीच में प्रेम पत्र का दौर चला पढ़ता था विज्ञान किंतु मैं रूप में तेरे भटक गया,
वही हुआ परिणाम कि मैं इस बार भी फिर से लटक गया इंजीनियर बनने का सपना मेरा चकनाचूर हुआ,
तेरे कारण ही B.A करने को मजबूर हुआ,
जब तक तेरे साथ रहा हां पग पग पर मैं छला गया,
कहां छात्र विज्ञान का था इतिहास भूगोल में चला गया B.A करके M.Aकरके पीएचडी अब करता हूं,
जहां वैकेंसी मिलती है टीचर की फार्म भरता हूं,
और सहनी पड़ती है सबसे तानों की अब बरसात मुझे,, मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे
और मेरे जीवन की पूरी हां दिशा को तूने मोड़ दिया अच्छा सबक शिखा के तूने मुझको यूं ही छोड़ दिया,
तेरे कारण ही तो अब मैं कंगाली में रहता हूं,
तू तो मौज उड़ाती है और मैं फाके सहता हूं,
तेरे कारण ही कुल्फी की डंडी सा अब दिखता हूं,
इस सदमे से कवि बन गया अब मैं कविता लिखता हूं और मैंने तुझको हृदय दिया और तूने हृदयाघात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे!!
दसवीं कि इम्तहान में तूने फूल फेंक कर मारा था,
देखा तेरी और उसी पल और दिल यह अपना हारा था, तुरंत बाद में तूने अपनी बाईं आंख भी मारी थी,
तहस-नहस हो गई पूरी अरे मेरी जो तैयारी थी,
तेरी ओर क्या देखा समझो भाग्य ही मेरा फूट गया,
बस तुझ पर ध्यान रहा मेरा और पेपर पूरा छूट गया,
फिर चारों ओर से मिल कर सब ने मेरी बहुत खिंचाई की, टीचर ने भी छड़ी घुमा कर मेरी बहुत पिटाई की,
मम्मी ने तो थप्पड़ मारा था पर पापा ने लात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता मैं तुझको हर बात है तेरी याद मुझे
जैसे तैसे दसवीं कर में 11वीं की ओर चला,
फिर 2 साल तक अपने बीच में प्रेम पत्र का दौर चला पढ़ता था विज्ञान किंतु मैं रूप में तेरे भटक गया,
वही हुआ परिणाम कि मैं इस बार भी फिर से लटक गया इंजीनियर बनने का सपना मेरा चकनाचूर हुआ,
तेरे कारण ही B.A करने को मजबूर हुआ,
जब तक तेरे साथ रहा हां पग पग पर मैं छला गया,
कहां छात्र विज्ञान का था इतिहास भूगोल में चला गया B.A करके M.Aकरके पीएचडी अब करता हूं,
जहां वैकेंसी मिलती है टीचर की फार्म भरता हूं,
और सहनी पड़ती है सबसे तानों की अब बरसात मुझे,, मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे
और मेरे जीवन की पूरी हां दिशा को तूने मोड़ दिया अच्छा सबक शिखा के तूने मुझको यूं ही छोड़ दिया,
तेरे कारण ही तो अब मैं कंगाली में रहता हूं,
तू तो मौज उड़ाती है और मैं फाके सहता हूं,
तेरे कारण ही कुल्फी की डंडी सा अब दिखता हूं,
इस सदमे से कवि बन गया अब मैं कविता लिखता हूं और मैंने तुझको हृदय दिया और तूने हृदयाघात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे!!
प्रेम पर हास्य व्यंग
कॉलेज में एक अति सुंदर बाला को देख प्रेम ने जी ले ली अंगड़ाई मेरे मन में,
हर जगह वही दिखती थी मुझे रूप जैसी बस गया था जी उसका मेरे नयन में,
फूल देने गया ही था तभी देख लिया उसके भाई ने जो था चौगुना मेरे वजन में,
ऐसी सेवा की भाई ने की ह्रदय की प्रेम पीड़ा फैल चुकी है जी मेरे पूरे बदन में,
कैसे कैसे धोया उसके भाई ने क्या बताऊं दो का मुझको तो भैया 4 दिखता है अब,
और हीरो कहते थे मुझे कॉलेज में पहले जो कहते हैं बेचारा लाचार दिखता है अब,
और इश्क बाजी छोड़ी तब से यह वैलेंटाइन डे फालतू फिजूल और बेकार दिखता है अब,
और जब भी ब्यूटीफुल कोई लड़की है दिखती तो सीधे-सीधे राखी का त्यौहार दिखता है अब l
हर जगह वही दिखती थी मुझे रूप जैसी बस गया था जी उसका मेरे नयन में,
फूल देने गया ही था तभी देख लिया उसके भाई ने जो था चौगुना मेरे वजन में,
ऐसी सेवा की भाई ने की ह्रदय की प्रेम पीड़ा फैल चुकी है जी मेरे पूरे बदन में,
कैसे कैसे धोया उसके भाई ने क्या बताऊं दो का मुझको तो भैया 4 दिखता है अब,
और हीरो कहते थे मुझे कॉलेज में पहले जो कहते हैं बेचारा लाचार दिखता है अब,
और इश्क बाजी छोड़ी तब से यह वैलेंटाइन डे फालतू फिजूल और बेकार दिखता है अब,
और जब भी ब्यूटीफुल कोई लड़की है दिखती तो सीधे-सीधे राखी का त्यौहार दिखता है अब l
Monday 30 April 2018
भगवान बुद्ध का विचार
मनुष्य तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत ना होना,
वह पराक्रम की परीक्षा है,
तुम तलवार के सामने सिर झुकाने से भयभीत ना होना,
वह बलिदान की कसौटी है,
पर शराब से सदा भयभीत रहना,
क्योंकि वह पाप और अनाचार की जननी है!!
S.K.ARYA
9450195881
वह पराक्रम की परीक्षा है,
तुम तलवार के सामने सिर झुकाने से भयभीत ना होना,
वह बलिदान की कसौटी है,
पर शराब से सदा भयभीत रहना,
क्योंकि वह पाप और अनाचार की जननी है!!
S.K.ARYA
9450195881
प्रार्थना
Arya Ji
मन आज वृंदावन धाम हुआ,औ मोर पावन जैसे कुंज गली,
औ कमल नयन के हैं नीर नयन में,
औ जब हाल कहें बजरंगबली,
औ भक्त गले भगवान मिले जब,
बागन बीच कुटुंब वली,
औ हनुमान जपें सिया राम सिया,
औ सिया राम कहे बजरंगबली!!!
Sunday 1 April 2018
अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए पंक्तियां
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद ही बदलो यारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों,
एक समय था हम आपस में गीत प्रेम के गाते थे,
कंधों से कंधे मिलते थे मिलजुल कर कदम बढ़ाते थे,
लड़े लड़ाई आजादी की पीछे कदम न हटे कभी,
जातिवाद क्या बाल विवाह व पर्दा प्रथा से लड़े सभी,
पर्दा प्रथा से लड़े सभी!
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत की ताकत चारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
दूसरा बंद उन राजनेताओं के लिए है जो अपने आप को राजनेता कहते हैं लेकिन वह शुद्ध राजनेता नहीं है-
भूल गए चाणक्य से उद्धत राजनीति की मर्यादा,
बांट रहे हो क्यों भारत के हर कोने आधा-आधा,
भूल गए राणा को जिसने घास की रोटी खाई थी,
बलिवेदी पर बली हो गई रानी लक्ष्मीबाई थी,
राजनीति की मर्यादा यू मत गंदलो ए मक्कारों,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों !!
तीसरा बंद हमारे उन कथित समाजसेवियों के लिए है जो समाज सेवा करने का झूठा तप करते हैं समाज सेवा करने का प्रश्न करता हूं-
तुम ही बताओ किस बगिया में तुम ने फूल खिलाया है,
तुम ही बताओ किस दुखिया का तुमने मन बहलाया है,
तुम ही बताओ किस भटके को तुमने राह दिखाया है,
अंतर्मन से पूछो किस अनाथ को गले लगाया है,
अहंकार की बू आती है पहले मन से उसे हटाओ,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
चौथा बंद हमारे युवा बंधुओं के लिए है----
भूल रहे कर्तव्य तुम अपना भूल रहे हो शिष्टाचार,
भूल रहे हो रिश्ते नाते भूल रहे आचार-विचार,
भूल रहे हो जीवन की बगिया तक जाने का रास्ता,
तुम अपने बहुमूल्य समय का दाम लगाते क्यों सस्ता,
अपने कुटिल कलापों से अब यूं ना रंगबाजी झारो,
देश की अपनी लाज बचा लो मां भारत की आंख के तारों!!
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद को बदलो यारों !!!!
Your
S.K.ARYA
9450195881
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों,
एक समय था हम आपस में गीत प्रेम के गाते थे,
कंधों से कंधे मिलते थे मिलजुल कर कदम बढ़ाते थे,
लड़े लड़ाई आजादी की पीछे कदम न हटे कभी,
जातिवाद क्या बाल विवाह व पर्दा प्रथा से लड़े सभी,
पर्दा प्रथा से लड़े सभी!
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत की ताकत चारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
दूसरा बंद उन राजनेताओं के लिए है जो अपने आप को राजनेता कहते हैं लेकिन वह शुद्ध राजनेता नहीं है-
भूल गए चाणक्य से उद्धत राजनीति की मर्यादा,
बांट रहे हो क्यों भारत के हर कोने आधा-आधा,
भूल गए राणा को जिसने घास की रोटी खाई थी,
बलिवेदी पर बली हो गई रानी लक्ष्मीबाई थी,
राजनीति की मर्यादा यू मत गंदलो ए मक्कारों,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों !!
तीसरा बंद हमारे उन कथित समाजसेवियों के लिए है जो समाज सेवा करने का झूठा तप करते हैं समाज सेवा करने का प्रश्न करता हूं-
तुम ही बताओ किस बगिया में तुम ने फूल खिलाया है,
तुम ही बताओ किस दुखिया का तुमने मन बहलाया है,
तुम ही बताओ किस भटके को तुमने राह दिखाया है,
अंतर्मन से पूछो किस अनाथ को गले लगाया है,
अहंकार की बू आती है पहले मन से उसे हटाओ,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
चौथा बंद हमारे युवा बंधुओं के लिए है----
भूल रहे कर्तव्य तुम अपना भूल रहे हो शिष्टाचार,
भूल रहे हो रिश्ते नाते भूल रहे आचार-विचार,
भूल रहे हो जीवन की बगिया तक जाने का रास्ता,
तुम अपने बहुमूल्य समय का दाम लगाते क्यों सस्ता,
अपने कुटिल कलापों से अब यूं ना रंगबाजी झारो,
देश की अपनी लाज बचा लो मां भारत की आंख के तारों!!
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद को बदलो यारों !!!!
Your
S.K.ARYA
9450195881
मां के लिए 4 पंक्तियां
मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी,
रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी,
मुझे मालूम है मैं चलता था और गिरता उठता था,
पकड़कर वह मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी !!
यह मेरा बचपन था जब मैं शिशु अवस्था में था
नए परिवेश की अंधेरी गलियों में था भरमाया,
यहां ना साथी है कोई समझ कर मैं तो घबराया,
मुझे जब यह लगा कि मैं अकेला हूं जीवन पथ पर,
पीछे मुड़कर देखा तो मेरी मां को खड़ा पाया !!
Santosh Arya
9 4 5 0 1 9 5 8 8 1
रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी,
मुझे मालूम है मैं चलता था और गिरता उठता था,
पकड़कर वह मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी !!
यह मेरा बचपन था जब मैं शिशु अवस्था में था
नए परिवेश की अंधेरी गलियों में था भरमाया,
यहां ना साथी है कोई समझ कर मैं तो घबराया,
मुझे जब यह लगा कि मैं अकेला हूं जीवन पथ पर,
पीछे मुड़कर देखा तो मेरी मां को खड़ा पाया !!
Santosh Arya
9 4 5 0 1 9 5 8 8 1
Wednesday 21 March 2018
माता-पिता पर कविता
माता पिता की सेवा करना हमारा परम कर्तव्य है उनकी सेवा हमें पूर्ण मन और निष्ठा से करनी चाहिए माता पिता के पक्ष में एक कविता प्रस्तुत है......
माता पिता सेवा करो ममता के वृक्ष हैं ये,
छाव पाके इनका महान बन जाओगे,
छोड़ो चारों धाम इन्हें ईश्वर बनाओ बंधु,
श्रवण के जैसे इनके प्राण बन जाओगे,
धर करके शीश यदि पा लो आशीष इनका,
पापी शीश के लिए कृपाण बन जाओगे,
पिता के संस्कार ना तो रहे उपकार में तो,
ईसा मसीह,नानक सामान बन जाओगे ll
आपका-
S.K.Arya
Mo-9450195881
सच्चे प्रेम पर कविता
सच्चे प्रेम के पक्ष में कविता
प्रेम प्रेम करते हैं सभी प्रेम योगी पर प्रेम परिपाटी को बढ़ाना नहीं जानते,
पहले स प्रेम अब रहा नहीं प्रेमियों में प्रेम कि वह शर्त निभाना नहीं जानते,
प्रेम को तो मानते हैं ईश्वर का रूप पर प्रेम कि वह कीमत चुकाना नहीं जानते,
झूठे प्रेम योगी काम वासना में लिप्त बली Prem Granth पैरवी चढ़ाना नहीं जानते ll
और प्रेम होना कैसा चाहिए
जैसे रम गए हनुमान राम भक्ति में ऐसे प्रेम भाव का तो रिश्ता कहां है अब,
श्याम के लिए था प्रेम सभी गोपियों का पर ऐसा प्रेम कहो कहीं कहां दिखता है अब,
जैसे रम गए हनुमान राम भक्ति में ऐसा प्रेम भाव कहो कहीं कहां दिखता है अब,
श्याम के लिए था प्रेम सभी गोपियों का पर ऐसा प्रेम कहो कहीं कहां दिखता है अब,
मीरा बावरी ने प्रेम की जो परिभाषा लिखी ऐसी परिभाषा कहो कहीं कहां दिखता है अब,
धर्म के पक्ष में कविता
धर्म के पक्ष में कविता
मंजिलें हैं एक सभी पथिको का सुनो बंधु कहता हूं जाने वाले रास्ते अनेक हैं,
मानवों को बांटते हैं जातिवाद,धर्मवाद मेरा मानना है यह तो मानवों का टेक हैll
ईश्वर के कई नाम राम व रहीम,पर साई जी ने कहा था कि मालिक तो एक है,
जातिवाद,धर्मवाद,क्षेत्रवाद नेक नहीं कर्म यदि नेक है तो तो सारा जग नेक है ll
सरस्वती वंदना एवं मंत्र
सरस्वती का शुभ श्वेत धवल रूप जो वेदों में वर्णित किया गया है-
या कुंदेंदु-तुषार हार धवला,
या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणा वर दंड मंडित करा,
या श्वेतपद्मासना,
या ब्रह्माच्युत प्रवृत्ति देवें सदा वंदिता,
सा मां पातु सरस्वति भगवति नि:शेष जाड्या पहा ll
अर्थात
देवी सरस्वती शीतल चंद्रमा की किरणों से गिरती हुई ओस की बूंदों के श्वेत हार से सुसज्जित शुभ वस्त्रों से आवृत हाथों में वीणा धारण किए हुए वर मुद्रा में अति स्वेत कमल रूपी आसन पर विराजमान है शारदा देवी,ब्रह्मा,शंकर औचित्य आदि देवताओं द्वारा भी सदा ही वंदनीय है ऐसी देवी सरस्वती हमारी बुद्धि की जड़ता को नष्ट करके हमें तीक्ष्ण बुद्धि एवं कुशाग्र मेधा से युक्त करेंl
सरस्वती मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्ली` महासरस्वती देव्यै नमः ll
इस मंत्र के जाप से जन्म कुंडली के लग्न( प्रथम भाव ),पंचम( विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैंl
या कुंदेंदु-तुषार हार धवला,
या शुभ्रवस्त्रावृता,
या वीणा वर दंड मंडित करा,
या श्वेतपद्मासना,
या ब्रह्माच्युत प्रवृत्ति देवें सदा वंदिता,
सा मां पातु सरस्वति भगवति नि:शेष जाड्या पहा ll
अर्थात
देवी सरस्वती शीतल चंद्रमा की किरणों से गिरती हुई ओस की बूंदों के श्वेत हार से सुसज्जित शुभ वस्त्रों से आवृत हाथों में वीणा धारण किए हुए वर मुद्रा में अति स्वेत कमल रूपी आसन पर विराजमान है शारदा देवी,ब्रह्मा,शंकर औचित्य आदि देवताओं द्वारा भी सदा ही वंदनीय है ऐसी देवी सरस्वती हमारी बुद्धि की जड़ता को नष्ट करके हमें तीक्ष्ण बुद्धि एवं कुशाग्र मेधा से युक्त करेंl
सरस्वती मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्ली` महासरस्वती देव्यै नमः ll
इस मंत्र के जाप से जन्म कुंडली के लग्न( प्रथम भाव ),पंचम( विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैंl
Tuesday 20 March 2018
भारतीय सैनिक पर कविता
एक जवान जो कि सीमा पर शहीद हो जाता है उसके घर में उसकी मां होती है और उसकी बहन है वह जवान मरते-मरते एक खत लिखता है अपनी मां के नाम हलाकि इस विषय को बहुत लोगों ने अपनी कविता का रुप दिया है लेकिन मैं पहली बार इस विषय को विषयांतर करते हुए एक कविता लिखता हूं पढ़िएगा........
सीमा पर एक जवान जो शहीद हो गया,संवेदनाओं के कितने बीज बो गया l
तिरंगे में लिपटी लाश उसके घर पर आ गई ,सिहर उठी हवाएं उदासी छा गयी l
तिरंगे में रखा खत जो उसकी मां को दिख गया ,मरता हुआ जवान जो उस खत पर लिख गया l
बलिदान को अब आसुओं से धोना नहीं है, तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है ll
क्या याद आता है उसे.........
मुझको याद आ रहा है तेरा उंगली पकड़ना कंधे पर बिठाना मुझे बाहों में जकड़ना l
पगडंडियों पर खेतों की मैं तेज भागता सुनने को कहानी तेरी रातों को जागता l
पर बिन सुने कहानी तेरा लाल सो गया सोचा था तूने और कुछ और हो गया l
मुझ सा कोई घर में तेरे खिलौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
उसकी मां उसके लिए सेहरा बना रही थी किंतु जब फिर से लौट आएगा तो मैं तेरी शादी करूंगी वह नहीं आता है उसकी खबर आती है तब देखिएगा पंक्तियां........
सोचा था तूने अपने लिए बहु लाएगी पोते को अपने हाथों से झूला झूल आएगीl
तुतलाती बोली पोते की सु न सकी मां आंचल में अपने कलियां तू चुन न सकी मां l
ना रंगोली सजी घर पर न घोड़े पर मैं चढ़ा पतंग पर सवार हो यमलोक चल पड़ा l
वहां मां तेरे आंचल का तो बिछौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
हमेशा अपनी बहन से झगड़ता था आज वह अपनी बहन के लिए कहता है......
बहना से कहना राखी पर याद ना करें किस्मत को ना कोसे कोई फरियाद ना करें l
अब कौन है उसे चोटी पकड़कर चिढ़आएगा अब कौन भाई दूज का निवाला खाएगा l
कहना कि बनकर भाई अबकी बार आऊंगा सुहाग वाली चुनरी अबकी बार लाऊंगा l
अब भाई और बहन में मेल होना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
इस गीत को क्यों लिखा मेरे इस हिंदुस्तान की पंगु प्रशासनिक राजनीतिक व्यवस्था सैनिक इतना कुछ करता है देश के लिए बदले में क्या मिलता है अगली पंक्तियां पढ़िएगा..........
तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगीl
सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ बना हुआ है देश में.........
सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगी चौराहों पर तुझको तमाशा बनाएगी l
अस्पतालों स्कूलों के नाम रखेगी अनमोल शहादत का कुछ दाम रखेगी l
दलालों की दलाली पर तू थूक देना मां बेटे की मौत की कोई कीमत न लेना मां l
भूखे भले मखमल पे हमको सोना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
सिद्धार्थ देवल
(Your S.K.ARYA)
Mo-9450195881
सीमा पर एक जवान जो शहीद हो गया,संवेदनाओं के कितने बीज बो गया l
तिरंगे में लिपटी लाश उसके घर पर आ गई ,सिहर उठी हवाएं उदासी छा गयी l
तिरंगे में रखा खत जो उसकी मां को दिख गया ,मरता हुआ जवान जो उस खत पर लिख गया l
बलिदान को अब आसुओं से धोना नहीं है, तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है ll
क्या याद आता है उसे.........
मुझको याद आ रहा है तेरा उंगली पकड़ना कंधे पर बिठाना मुझे बाहों में जकड़ना l
पगडंडियों पर खेतों की मैं तेज भागता सुनने को कहानी तेरी रातों को जागता l
पर बिन सुने कहानी तेरा लाल सो गया सोचा था तूने और कुछ और हो गया l
मुझ सा कोई घर में तेरे खिलौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
उसकी मां उसके लिए सेहरा बना रही थी किंतु जब फिर से लौट आएगा तो मैं तेरी शादी करूंगी वह नहीं आता है उसकी खबर आती है तब देखिएगा पंक्तियां........
सोचा था तूने अपने लिए बहु लाएगी पोते को अपने हाथों से झूला झूल आएगीl
तुतलाती बोली पोते की सु न सकी मां आंचल में अपने कलियां तू चुन न सकी मां l
ना रंगोली सजी घर पर न घोड़े पर मैं चढ़ा पतंग पर सवार हो यमलोक चल पड़ा l
वहां मां तेरे आंचल का तो बिछौना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
हमेशा अपनी बहन से झगड़ता था आज वह अपनी बहन के लिए कहता है......
बहना से कहना राखी पर याद ना करें किस्मत को ना कोसे कोई फरियाद ना करें l
अब कौन है उसे चोटी पकड़कर चिढ़आएगा अब कौन भाई दूज का निवाला खाएगा l
कहना कि बनकर भाई अबकी बार आऊंगा सुहाग वाली चुनरी अबकी बार लाऊंगा l
अब भाई और बहन में मेल होना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैl
इस गीत को क्यों लिखा मेरे इस हिंदुस्तान की पंगु प्रशासनिक राजनीतिक व्यवस्था सैनिक इतना कुछ करता है देश के लिए बदले में क्या मिलता है अगली पंक्तियां पढ़िएगा..........
तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं है सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगीl
सैनिक कल्याण प्रकोष्ठ बना हुआ है देश में.........
सरकार मेरे नाम से कई फ़ंड लाएगी चौराहों पर तुझको तमाशा बनाएगी l
अस्पतालों स्कूलों के नाम रखेगी अनमोल शहादत का कुछ दाम रखेगी l
दलालों की दलाली पर तू थूक देना मां बेटे की मौत की कोई कीमत न लेना मां l
भूखे भले मखमल पे हमको सोना नहीं है तुझको कसम है मां मेरी की रोना नहीं हैll
सिद्धार्थ देवल
(Your S.K.ARYA)
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मेरी मां प्यारी मां मम्मा
माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा हाथों की लकीरें बदल जायेंगी ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी हो खुदा प...
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मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे, फांस के अपने जाल में पूरा कर गई तू बर्बाद मुझे, दसवीं कि इम्तहान में तूने फूल फेंक कर मार...
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एक जवान जो कि सीमा पर शहीद हो जाता है उसके घर में उसकी मां होती है और उसकी बहन है वह जवान मरते-मरते एक खत लिखता है अपनी मां के नाम हलाकि इस...
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जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो वह समंदर नहीं था थे ...