मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी,
रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी,
मुझे मालूम है मैं चलता था और गिरता उठता था,
पकड़कर वह मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी !!
यह मेरा बचपन था जब मैं शिशु अवस्था में था
नए परिवेश की अंधेरी गलियों में था भरमाया,
यहां ना साथी है कोई समझ कर मैं तो घबराया,
मुझे जब यह लगा कि मैं अकेला हूं जीवन पथ पर,
पीछे मुड़कर देखा तो मेरी मां को खड़ा पाया !!
Santosh Arya
9 4 5 0 1 9 5 8 8 1
रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी,
मुझे मालूम है मैं चलता था और गिरता उठता था,
पकड़कर वह मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी !!
यह मेरा बचपन था जब मैं शिशु अवस्था में था
नए परिवेश की अंधेरी गलियों में था भरमाया,
यहां ना साथी है कोई समझ कर मैं तो घबराया,
मुझे जब यह लगा कि मैं अकेला हूं जीवन पथ पर,
पीछे मुड़कर देखा तो मेरी मां को खड़ा पाया !!
Santosh Arya
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