Thursday, 2 August 2018
Saturday, 28 July 2018
जब बसाने का मन में ना हो हौसला
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह समंदर नहीं था थे आंसू मेरे जिनमें तुम तैरते और नहाते रहे
एक हम थे जो आंखों की झील में बस किनारे पर डुबकी लगाते रहे
मछलियां सब झुलस जाएंगी झील की अपना पूरा बदन मत डुबाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह हमें क्या संभालेंगे इस भीड़ में जिनसे अपना दुपट्टा संभलता नहीं
कैसे मन को मैं कह दूं सुकोमल है यह फूल को देखकर जो मचलता नहीं
और जिनके दीवार-ओ-दर है बने मोम के उनके घर में न दीपक जलाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
इन पतंगों को देखो यह उड़ती यहां जब कटेगी तो जाने गिरेगी कहां
बहती नदियों को खुद भी पता ही नहीं अपने प्रियतम से जाने मिलेगी कहां
और जिनके होठों पर तुम ना हंसी रख सको उनकी आंखों में आंसू ना लाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो
कबीरदास जी ने कहा ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय हमारे फिल्मी गीतकारों ने प्रेम को इलू इलू में समेट कर रख दिया लेकिन इंग्लिश लिटरेचर में कहा गया Love is not simply word it is containing everything.
प्रेम को ढाई अक्षर का कैसे कहें प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा
प्रेम होता है दिखता नहीं है मगर प्रेम की ही धुरी पर यह जग है खड़ा
और प्रेम के इस नगर में जो अनजान हो उसको रास्ते गलत मत बताया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो बेवजह डालियां मत हिलाया करोl
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह समंदर नहीं था थे आंसू मेरे जिनमें तुम तैरते और नहाते रहे
एक हम थे जो आंखों की झील में बस किनारे पर डुबकी लगाते रहे
मछलियां सब झुलस जाएंगी झील की अपना पूरा बदन मत डुबाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो इस तरह डालियां मत हिलाया करो
वह हमें क्या संभालेंगे इस भीड़ में जिनसे अपना दुपट्टा संभलता नहीं
कैसे मन को मैं कह दूं सुकोमल है यह फूल को देखकर जो मचलता नहीं
और जिनके दीवार-ओ-दर है बने मोम के उनके घर में न दीपक जलाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
इन पतंगों को देखो यह उड़ती यहां जब कटेगी तो जाने गिरेगी कहां
बहती नदियों को खुद भी पता ही नहीं अपने प्रियतम से जाने मिलेगी कहां
और जिनके होठों पर तुम ना हंसी रख सको उनकी आंखों में आंसू ना लाया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो
कबीरदास जी ने कहा ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय हमारे फिल्मी गीतकारों ने प्रेम को इलू इलू में समेट कर रख दिया लेकिन इंग्लिश लिटरेचर में कहा गया Love is not simply word it is containing everything.
प्रेम को ढाई अक्षर का कैसे कहें प्रेम सागर से गहरा है नभ से बड़ा
प्रेम होता है दिखता नहीं है मगर प्रेम की ही धुरी पर यह जग है खड़ा
और प्रेम के इस नगर में जो अनजान हो उसको रास्ते गलत मत बताया करो
जब बसाने का मन में ना हो हौसला बेवजह घोसला मत बनाया करो
और उठा ना सको तुम गिरे फूल तो बेवजह डालियां मत हिलाया करोl
सक्सेना जी
संतोष कुमार आर्य
9450195881
Monday, 23 July 2018
प्रेम पर हास्य व्यंग2
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे, फांस के अपने जाल में पूरा कर गई तू बर्बाद मुझे,
दसवीं कि इम्तहान में तूने फूल फेंक कर मारा था,
देखा तेरी और उसी पल और दिल यह अपना हारा था, तुरंत बाद में तूने अपनी बाईं आंख भी मारी थी,
तहस-नहस हो गई पूरी अरे मेरी जो तैयारी थी,
तेरी ओर क्या देखा समझो भाग्य ही मेरा फूट गया,
बस तुझ पर ध्यान रहा मेरा और पेपर पूरा छूट गया,
फिर चारों ओर से मिल कर सब ने मेरी बहुत खिंचाई की, टीचर ने भी छड़ी घुमा कर मेरी बहुत पिटाई की,
मम्मी ने तो थप्पड़ मारा था पर पापा ने लात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता मैं तुझको हर बात है तेरी याद मुझे
जैसे तैसे दसवीं कर में 11वीं की ओर चला,
फिर 2 साल तक अपने बीच में प्रेम पत्र का दौर चला पढ़ता था विज्ञान किंतु मैं रूप में तेरे भटक गया,
वही हुआ परिणाम कि मैं इस बार भी फिर से लटक गया इंजीनियर बनने का सपना मेरा चकनाचूर हुआ,
तेरे कारण ही B.A करने को मजबूर हुआ,
जब तक तेरे साथ रहा हां पग पग पर मैं छला गया,
कहां छात्र विज्ञान का था इतिहास भूगोल में चला गया B.A करके M.Aकरके पीएचडी अब करता हूं,
जहां वैकेंसी मिलती है टीचर की फार्म भरता हूं,
और सहनी पड़ती है सबसे तानों की अब बरसात मुझे,, मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे
और मेरे जीवन की पूरी हां दिशा को तूने मोड़ दिया अच्छा सबक शिखा के तूने मुझको यूं ही छोड़ दिया,
तेरे कारण ही तो अब मैं कंगाली में रहता हूं,
तू तो मौज उड़ाती है और मैं फाके सहता हूं,
तेरे कारण ही कुल्फी की डंडी सा अब दिखता हूं,
इस सदमे से कवि बन गया अब मैं कविता लिखता हूं और मैंने तुझको हृदय दिया और तूने हृदयाघात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे!!
दसवीं कि इम्तहान में तूने फूल फेंक कर मारा था,
देखा तेरी और उसी पल और दिल यह अपना हारा था, तुरंत बाद में तूने अपनी बाईं आंख भी मारी थी,
तहस-नहस हो गई पूरी अरे मेरी जो तैयारी थी,
तेरी ओर क्या देखा समझो भाग्य ही मेरा फूट गया,
बस तुझ पर ध्यान रहा मेरा और पेपर पूरा छूट गया,
फिर चारों ओर से मिल कर सब ने मेरी बहुत खिंचाई की, टीचर ने भी छड़ी घुमा कर मेरी बहुत पिटाई की,
मम्मी ने तो थप्पड़ मारा था पर पापा ने लात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता मैं तुझको हर बात है तेरी याद मुझे
जैसे तैसे दसवीं कर में 11वीं की ओर चला,
फिर 2 साल तक अपने बीच में प्रेम पत्र का दौर चला पढ़ता था विज्ञान किंतु मैं रूप में तेरे भटक गया,
वही हुआ परिणाम कि मैं इस बार भी फिर से लटक गया इंजीनियर बनने का सपना मेरा चकनाचूर हुआ,
तेरे कारण ही B.A करने को मजबूर हुआ,
जब तक तेरे साथ रहा हां पग पग पर मैं छला गया,
कहां छात्र विज्ञान का था इतिहास भूगोल में चला गया B.A करके M.Aकरके पीएचडी अब करता हूं,
जहां वैकेंसी मिलती है टीचर की फार्म भरता हूं,
और सहनी पड़ती है सबसे तानों की अब बरसात मुझे,, मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे
और मेरे जीवन की पूरी हां दिशा को तूने मोड़ दिया अच्छा सबक शिखा के तूने मुझको यूं ही छोड़ दिया,
तेरे कारण ही तो अब मैं कंगाली में रहता हूं,
तू तो मौज उड़ाती है और मैं फाके सहता हूं,
तेरे कारण ही कुल्फी की डंडी सा अब दिखता हूं,
इस सदमे से कवि बन गया अब मैं कविता लिखता हूं और मैंने तुझको हृदय दिया और तूने हृदयाघात मुझे,
मैं भूल नहीं सकता तुझको हर बात तेरी है याद मुझे!!
प्रेम पर हास्य व्यंग
कॉलेज में एक अति सुंदर बाला को देख प्रेम ने जी ले ली अंगड़ाई मेरे मन में,
हर जगह वही दिखती थी मुझे रूप जैसी बस गया था जी उसका मेरे नयन में,
फूल देने गया ही था तभी देख लिया उसके भाई ने जो था चौगुना मेरे वजन में,
ऐसी सेवा की भाई ने की ह्रदय की प्रेम पीड़ा फैल चुकी है जी मेरे पूरे बदन में,
कैसे कैसे धोया उसके भाई ने क्या बताऊं दो का मुझको तो भैया 4 दिखता है अब,
और हीरो कहते थे मुझे कॉलेज में पहले जो कहते हैं बेचारा लाचार दिखता है अब,
और इश्क बाजी छोड़ी तब से यह वैलेंटाइन डे फालतू फिजूल और बेकार दिखता है अब,
और जब भी ब्यूटीफुल कोई लड़की है दिखती तो सीधे-सीधे राखी का त्यौहार दिखता है अब l
हर जगह वही दिखती थी मुझे रूप जैसी बस गया था जी उसका मेरे नयन में,
फूल देने गया ही था तभी देख लिया उसके भाई ने जो था चौगुना मेरे वजन में,
ऐसी सेवा की भाई ने की ह्रदय की प्रेम पीड़ा फैल चुकी है जी मेरे पूरे बदन में,
कैसे कैसे धोया उसके भाई ने क्या बताऊं दो का मुझको तो भैया 4 दिखता है अब,
और हीरो कहते थे मुझे कॉलेज में पहले जो कहते हैं बेचारा लाचार दिखता है अब,
और इश्क बाजी छोड़ी तब से यह वैलेंटाइन डे फालतू फिजूल और बेकार दिखता है अब,
और जब भी ब्यूटीफुल कोई लड़की है दिखती तो सीधे-सीधे राखी का त्यौहार दिखता है अब l
Monday, 30 April 2018
भगवान बुद्ध का विचार
मनुष्य तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत ना होना,
वह पराक्रम की परीक्षा है,
तुम तलवार के सामने सिर झुकाने से भयभीत ना होना,
वह बलिदान की कसौटी है,
पर शराब से सदा भयभीत रहना,
क्योंकि वह पाप और अनाचार की जननी है!!
S.K.ARYA
9450195881
वह पराक्रम की परीक्षा है,
तुम तलवार के सामने सिर झुकाने से भयभीत ना होना,
वह बलिदान की कसौटी है,
पर शराब से सदा भयभीत रहना,
क्योंकि वह पाप और अनाचार की जननी है!!
S.K.ARYA
9450195881
प्रार्थना
Arya Ji
मन आज वृंदावन धाम हुआ,औ मोर पावन जैसे कुंज गली,
औ कमल नयन के हैं नीर नयन में,
औ जब हाल कहें बजरंगबली,
औ भक्त गले भगवान मिले जब,
बागन बीच कुटुंब वली,
औ हनुमान जपें सिया राम सिया,
औ सिया राम कहे बजरंगबली!!!
Sunday, 1 April 2018
अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए पंक्तियां
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद ही बदलो यारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों,
एक समय था हम आपस में गीत प्रेम के गाते थे,
कंधों से कंधे मिलते थे मिलजुल कर कदम बढ़ाते थे,
लड़े लड़ाई आजादी की पीछे कदम न हटे कभी,
जातिवाद क्या बाल विवाह व पर्दा प्रथा से लड़े सभी,
पर्दा प्रथा से लड़े सभी!
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत की ताकत चारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
दूसरा बंद उन राजनेताओं के लिए है जो अपने आप को राजनेता कहते हैं लेकिन वह शुद्ध राजनेता नहीं है-
भूल गए चाणक्य से उद्धत राजनीति की मर्यादा,
बांट रहे हो क्यों भारत के हर कोने आधा-आधा,
भूल गए राणा को जिसने घास की रोटी खाई थी,
बलिवेदी पर बली हो गई रानी लक्ष्मीबाई थी,
राजनीति की मर्यादा यू मत गंदलो ए मक्कारों,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों !!
तीसरा बंद हमारे उन कथित समाजसेवियों के लिए है जो समाज सेवा करने का झूठा तप करते हैं समाज सेवा करने का प्रश्न करता हूं-
तुम ही बताओ किस बगिया में तुम ने फूल खिलाया है,
तुम ही बताओ किस दुखिया का तुमने मन बहलाया है,
तुम ही बताओ किस भटके को तुमने राह दिखाया है,
अंतर्मन से पूछो किस अनाथ को गले लगाया है,
अहंकार की बू आती है पहले मन से उसे हटाओ,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
चौथा बंद हमारे युवा बंधुओं के लिए है----
भूल रहे कर्तव्य तुम अपना भूल रहे हो शिष्टाचार,
भूल रहे हो रिश्ते नाते भूल रहे आचार-विचार,
भूल रहे हो जीवन की बगिया तक जाने का रास्ता,
तुम अपने बहुमूल्य समय का दाम लगाते क्यों सस्ता,
अपने कुटिल कलापों से अब यूं ना रंगबाजी झारो,
देश की अपनी लाज बचा लो मां भारत की आंख के तारों!!
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद को बदलो यारों !!!!
Your
S.K.ARYA
9450195881
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों,
एक समय था हम आपस में गीत प्रेम के गाते थे,
कंधों से कंधे मिलते थे मिलजुल कर कदम बढ़ाते थे,
लड़े लड़ाई आजादी की पीछे कदम न हटे कभी,
जातिवाद क्या बाल विवाह व पर्दा प्रथा से लड़े सभी,
पर्दा प्रथा से लड़े सभी!
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत की ताकत चारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
दूसरा बंद उन राजनेताओं के लिए है जो अपने आप को राजनेता कहते हैं लेकिन वह शुद्ध राजनेता नहीं है-
भूल गए चाणक्य से उद्धत राजनीति की मर्यादा,
बांट रहे हो क्यों भारत के हर कोने आधा-आधा,
भूल गए राणा को जिसने घास की रोटी खाई थी,
बलिवेदी पर बली हो गई रानी लक्ष्मीबाई थी,
राजनीति की मर्यादा यू मत गंदलो ए मक्कारों,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों !!
तीसरा बंद हमारे उन कथित समाजसेवियों के लिए है जो समाज सेवा करने का झूठा तप करते हैं समाज सेवा करने का प्रश्न करता हूं-
तुम ही बताओ किस बगिया में तुम ने फूल खिलाया है,
तुम ही बताओ किस दुखिया का तुमने मन बहलाया है,
तुम ही बताओ किस भटके को तुमने राह दिखाया है,
अंतर्मन से पूछो किस अनाथ को गले लगाया है,
अहंकार की बू आती है पहले मन से उसे हटाओ,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों!!
चौथा बंद हमारे युवा बंधुओं के लिए है----
भूल रहे कर्तव्य तुम अपना भूल रहे हो शिष्टाचार,
भूल रहे हो रिश्ते नाते भूल रहे आचार-विचार,
भूल रहे हो जीवन की बगिया तक जाने का रास्ता,
तुम अपने बहुमूल्य समय का दाम लगाते क्यों सस्ता,
अपने कुटिल कलापों से अब यूं ना रंगबाजी झारो,
देश की अपनी लाज बचा लो मां भारत की आंख के तारों!!
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद को बदलो यारों !!!!
Your
S.K.ARYA
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