Monday 30 April 2018

भगवान बुद्ध का विचार

मनुष्य तुम सिंह के सामने जाते समय भयभीत ना होना,
वह पराक्रम की परीक्षा है,
तुम तलवार के सामने सिर झुकाने से भयभीत ना होना,
वह बलिदान की कसौटी है,
पर शराब से सदा भयभीत रहना,
क्योंकि वह पाप और अनाचार की जननी है!!
    
S.K.ARYA
9450195881

प्रार्थना

           Arya Ji

मन आज वृंदावन धाम हुआ,
औ मोर पावन जैसे कुंज गली,
औ कमल नयन के हैं नीर नयन में,
औ जब हाल कहें बजरंगबली,
औ भक्त गले भगवान मिले जब,
बागन बीच कुटुंब वली,
औ हनुमान जपें सिया राम सिया,
औ सिया राम कहे बजरंगबली!!!

Sunday 1 April 2018

अपने देश के उज्जवल भविष्य के लिए पंक्तियां

        अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद ही बदलो यारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के तारों,
एक समय था हम आपस में गीत प्रेम के गाते थे,
कंधों से कंधे मिलते थे मिलजुल कर कदम बढ़ाते थे, 
लड़े लड़ाई आजादी की पीछे कदम न हटे कभी, 
जातिवाद  क्या बाल विवाह व पर्दा प्रथा से लड़े सभी,
पर्दा प्रथा से लड़े सभी!
 हिंदू मुस्लिम सिख इसाई भारत की ताकत चारों,
देश की अपनी शान बचालो मां भारत की आंख के  तारों!!

दूसरा बंद उन राजनेताओं के लिए है जो अपने आप को राजनेता कहते हैं लेकिन वह शुद्ध राजनेता नहीं है-

      भूल गए चाणक्य से उद्धत राजनीति की मर्यादा,
बांट रहे हो क्यों भारत के हर कोने आधा-आधा,
भूल गए राणा को जिसने घास की रोटी खाई थी,
बलिवेदी पर बली हो गई रानी लक्ष्मीबाई थी,
राजनीति की मर्यादा यू मत गंदलो ए मक्कारों,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों !!

तीसरा बंद हमारे उन कथित समाजसेवियों के लिए है जो समाज सेवा करने का झूठा तप करते हैं समाज सेवा करने का प्रश्न करता हूं-

     तुम ही बताओ किस बगिया में तुम ने फूल खिलाया है,
तुम ही बताओ किस दुखिया का तुमने मन बहलाया है,
तुम ही बताओ किस भटके को तुमने राह दिखाया है,
अंतर्मन से पूछो किस अनाथ को गले लगाया है,
अहंकार की बू आती है पहले मन से उसे हटाओ,
देश की अपनी लाज बचालो मां भारत की आंख के तारों!!

चौथा बंद हमारे युवा बंधुओं के लिए है----

          भूल रहे कर्तव्य तुम अपना भूल रहे हो शिष्टाचार,
भूल रहे हो रिश्ते नाते भूल रहे आचार-विचार,
भूल रहे हो जीवन की बगिया तक जाने का रास्ता,
तुम अपने बहुमूल्य समय का दाम लगाते क्यों सस्ता,
अपने कुटिल कलापों से अब यूं ना रंगबाजी झारो,
देश की अपनी लाज बचा लो  मां भारत की आंख के तारों!!
अगर बदलना है दुनिया को पहले खुद को बदलो यारों !!!!

     Your
 S.K.ARYA
9450195881

मां के लिए 4 पंक्तियां

मुझे मालूम है कि मां मुझे कैसे बुलाती थी,
रूठ जाता था जब उससे तो वह कैसे मनाती थी,
मुझे मालूम है मैं चलता था और गिरता उठता था,
पकड़कर वह मेरी उंगली मुझे चलना सिखाती थी !!

यह मेरा बचपन था जब मैं शिशु अवस्था में था

 नए परिवेश की अंधेरी गलियों में था भरमाया,
यहां ना साथी है कोई समझ कर मैं तो घबराया,
मुझे जब यह लगा कि मैं अकेला हूं जीवन पथ पर,
पीछे मुड़कर देखा तो मेरी मां को खड़ा पाया !!

Santosh Arya
9 4 5 0 1 9 5 8 8 1

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