Sunday 31 March 2019

कार्यक्रम शायरियां

आइए कुछ काम विशेष करते हैं
रोशन यह गांव गली मोहल्ला और देश करते हैं
गणपति गजानन जी महाराज को याद करते हुए,
हम आज के इस कार्यक्रम का श्रीगणेश करते हैं!!

हाथों में गीता बाईबिल और कुरान रखता हूं,
मैं मेरे दिल में हर जाति पाति धर्म पंथ मजहब का सम्मान रखता हूं,
अरे होगा कोई और जो दिल में रखता होगा कुछ और,
मैं मेरे दिल में सबसे पहले हिंदुस्तान रखता हूं!!

बहुत रोते हैं लेकिन दामन हमारा कभी नम नहीं होता,
इन आंखों के बाहर कोई मौसम नहीं होता,
हजारों हजार दुश्मनों के बीच भी महफूज रहता हूं,
क्योंकि मां वैष्णो देवी की दुआओं का खजाना कभी कम नहीं होता!!

करता हूं व्यापार तो हानियां बहुत हैं,
और जीता हूं जिंदगी तो परेशानियां बहुत है,
फिर भी ना रुकता हूं मैं झुकता हूं और बढ़ता हूं हमेशा आगे,
क्योंकि मुझ पर मेरी मां की मेहरबानियां बहुत अधिक है!!

कि कंगन और रोली का श्रृंगार नहीं होता,
अरे रक्षाबंधन और होली का त्यौहार भी नहीं होता,
रह जाते हमारे और आपके घर सुने सुने,
अगर घर में इन बेटियों का उतार नहीं होता!!

बिन देखे तेरी तस्वीर बना सकते हैं,
और बिना देखे तेरा हाल बता सकते हैं,
अरे उत्तर प्रदेश में बाराबंकी वालों की है वह ताकत,
कि फुटपाथ के फकीर को भी कोहिनूर बना सकते हैं!!

मां की दुआ कभी खाली नहीं जाती,
और बाप की बद्दुआ कभी टाली नहीं जाती,
बर्तन मांज कर मजदूरी करके मां पाल लेती है चार चार बेटे,
मगर चार चार बेटों से एक मां पाली नहीं जाती!!

मां भारती की सेवा और सम्मान के लिए घर बार छोड़ देंगे हम,
बनकर भगत सिंह और सुभाष बोस दुश्मनों की गर्दन मरोड़ देंगे हम,
अरे पुजारी हैं हम हिंद की माटी के और सेनानी है राणा प्रताप की हल्दीघाटी के,
मां भारती पर जिसने भी डाले डोरे उनकी आंखें फोड़ देंगे हम!!

अरे दुनिया हमारी दीवानी है
और खून से लिखी हमने कहानी है,
जब भी जुबान खोलो एक ही बात बोलो,
हम सब हिंदुस्तानी हैं!!

मेरे गांव का नीम का पेड़ चंदन से कम नहीं है,
और मेरे बाराबंकी सा कामगार मैदान लंदन और अमेरिका से कम नहीं है!!

डोरी बनती तार तार से और होती बड़ी मजबूत है ,
और हाथी भी उससे काबू में रहता यह संगठन का सबूत है!!

जमाने में मिलते हैं कई आशिक मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,
अरे नोटों से लिपट कर और सोने से सिमट कर मर गए कई लोग,
मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता!!
भारत माता की जय....

कर्म भूमि में कर्म सभी को करना पड़ता है,
ऊपर वाला सिर्फ लकीरें देता है,
रंग हम को भरना पड़ता है!!

रात ही रात में इंसान बदल जाता है,
बात ही बात में विश्वास बदल जाता है,
कंधे से कंधा मिलाकर काम करे दोस्तों,
तो यह धरती तो क्या आकाश बदल जाता है!!

मेरा देश आजाद हुआ है वंदे मातरम के नारों से,
और अनमोल आजादी पाई है भारत माता के जयकारों से,
अपनी औकात में रहे कह दो उन देशद्रोही दुश्मन और गद्दारों से,
वरना अब हर एक बात होगी राणा प्रताप की तलवारों से!!
भारत माता की जय!

वह पथ क्या कुशलता क्या,
जिस पथ पर बिखरे शूल न हों,
नाविक की धैर्य परीक्षा क्या,
जब धाराएं प्रतिकूल ना हो!!

खुदा के रहमों करम पर हम नाज करते हैं,
वही मालिक है जिसके नाम से हर काम का आगाज करते हैं,
जिंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना,
पांव बक्से हैं तो तोहफे के सफर भी देना,
गुफ्तगू तू ने सिखाई है मैं गूंगा था अब बोलूंगा तो बातों में असर भी देना!!

रोशनी मुकद्दर में हो तो अंधेरे लौट ही जाते हैं,
हौसले बुलंद हो तो रास्ते फिर खुल ही जाते हैं,
तू मानता है तू जीत नहीं सकता,
पर यू हार कर बैठना तुझे कमजोर बना देगा,
एक बार मैदान में आने की हिम्मत तो कर तेरा पहला हौसला तुझ में जीतने का जुनून जगा देगा!!

सपने उनके सच होते हैं जिनके सपनों में जान होती है,
पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है!!

S.K.Arya
9450195881

Monday 25 March 2019

मुक्तक

दिले बीमार सही हो वो दवाएं दे दे,
मै सब पे प्यार लुटाओ वो दुआएं दे दे,
ए मेरे रब मैं सांस सांस में महक जाऊं,
मेरी आवाज की खुशबू को हवाएं दे दे!!

तू हवा है तो करले अपने हवाले मुझको,
इससे पहले कि कोई और ना बहा ले मुझको,
आईना बन के गुजारी है जिंदगी मैंने,
टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको!!

आपके नाम ने ही बंद मेरी हिचकियां कर दी,
धूप के होठ पर पानी की बदलियां कर दी,
हर तरफ फूल है खुशबू है खुशनुमा मौसम,
आपने जून के मौसम में सर्दियां कर दी!!

सोचता था कि मैं तुम गिर के संभल जाओगे,
रोशनी बन के अंधेरों को निगल जाओगे,
ना तो मौसम थे ना हालात न तारीख न दिन,
किसे पता था कि तुम ऐसे बदल जाओगे!!

प्यास बुझ जाए तो शबनम खरीद सकता हूं,
जख्म मिल जाए तो मरहम खरीद सकता हूं,
ये मानता हूं कि मैं दौलत नहीं कमा पाया,
मगर तुम्हारा हर एक गम खरीद सकता हूं!!

तू जो ख्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे,
ग़म के मरुस्थल में भी बरसात का रेला कर दे,
याद वो है ही नहीं आए जो तनहाई में,
तेरी याद आए तो मेले में भी अकेला कर दे!!

जो आज कर गई घायल वो हवा कौन सी है,
जो दर्दे दिल करे सही वो दवा कौन सी है,
तुमने इस दिल को गिरफ्तार आज कर तो लिया,
अब जरा ये तो बता दो कि दफा कौन सी है!!

मेरा मुक्तक मेरे लहजे में गा लिया होगा,
दर्द उसने मेरी तरह दबा लिया होगा,
उसकी तल्खी में हुआ कैसे तरन्नुम पैदा,
उसने गुस्से में मेरा खत चबा लिया होगा!!

अभी जाने दो मुझे बाद में फिर आऊंगा,
साथ ले जाकर तुम्हें वो जगह दिखाऊंगा,
दिल के मंदिर में जहां आरती हुई ना कभी,
तुम्हारे हाथ से मैं एक दीया जलाऊंगा!!

लकीरे अपने हाथ की जो पढ़ नहीं सकते,
हवा खिलाफ हो तो उससे लड़ नहीं सकते,
जो अपने घर में बुजुर्गों की करे अनदेखी,
मेरा दावा है वो आगे बढ़ नहीं सकते!!

बदलते वक्त में ये कैसा दौर आया है,
हमी से दूर हो रहा हमारा साया है,
आज हम उनकी जुबा पे लगा रहे हैं बंदिश,
जिन बुजुर्गों ने हमें बोलना सिखाया है!!

जिंदगी अपनी बना लीजिए हवन की तरह,
प्यार गैरों पर भी बरसाईए सावन की तरह,
कल को औलाद देख सकती है चेहरा इसमें,
खुद को रखिए साफ पोछकर दर्पण की तरह!!

S.K.Arya                             सक्सेना जी
9450195881 

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