Friday 18 January 2019

मां पर कविता

कि मेरी आंखों का तारा ही मुझे आंखें दिखाता है जिसे हर एक खुशी दे दी वह हर गम से मिलाता है जुबां से कुछ कहूं कैसे कहूं किससे कहूं मां हूं सिखाया बोलना जिसको वह चुप रहना सिखाता है सुला कर सोती थी जिसको वह रात भर जगाता है सुनाई लोरियां जिसको वह अब ताने सुनाता है सिखाने में उसे क्या कुछ कमी रही सोचू जिसे गिनती सिखाई वह गलतियां मेरी गिनाता है गहरी छांव है गर जिंदगी एक धूप है अम्मा धरा पर अब कहां तुझसा कोई स्वरुप है अम्मा अगर ईश्वर कहीं पर है उसे देखा कभी किसने धरा पर तो तुम ही ईश्वर का कोई स्वरूप है अम्मा ना यह ऊंचाई सच्ची है ना यह आधार सच्चा है न कोई चीज है सच्ची ना यह संसार सच्चा है मगर धरती से अंबर तक युगों से लोग कहते हैं अगर सच्चा है कुछ जग में तो मां का प्यार सच्चा है जरा सी देर होने पर सभी से पूछती अम्मा पलक झपके बिना दरवाजा घर का ताकती अम्मा हर एक आहट पर उसका चौक पड़ना और दुआ देना मेरे घर लौट आने तक बराबर जागती अम्मा सुलाने के लिए मुझको तो खुद जागी रही अम्मा सराहने देर तक अक्सर मेरे बैठी रही अम्मा मेरे सपनों में परियां फूल तितली सब अभी तक हैं मुझे आंचल में अपने अब तक लेती रही अम्मा बड़ी छोटी रकम से घर चलाना जानती थी मां कमी थी पर बड़ी खुशियां जुटाना जानती थी अम्मा मैं खुशहाली में भी रिश्तो में बस दूरी बना पाया गरीबी मैं भी हर रिश्ता निभाना जानती अम्मा लगा बचपन में यूं अक्सर मुकद्दर ही अंधेरा है मगर मां हौसला देकर यू बोली तुम को क्या डर है कोई आगे निकलने के लिए रास्ता नहीं देगा मेरे बच्चों बढ़ो आगे तुम्हारे साथ ईश्वर है किसी के जख्म यह दुनिया तो अब सीटी नहीं अम्मा सभी दिल में कहीं अब प्रीत खिलती नहीं अम्मा मैं अपनापन ही अक्सर ढूंढता रहता हूं रिश्तो में तेरी निश्छल सी ममता तो कहीं मिलती नहीं अम्मा गमों की भीड़ में भी हमें हंसना सिखाया था जिसके दम से तूफानों ने अपना सर झुकाया था किसी के जुल्म के आगे कभी झुकना नहीं  बेटे सितम की उम्र छोटी है मुझे मां ने सिखाया था भरे घर में तेरी आहट कहीं मिलती नहीं अम्मा मेरे हाथों की नरम आहट कहीं मिलती नहीं अम्मा मैं तन पर लादे फिरता हूं दुशाले रेशमी लेकिन तेरी गोदी की गर्माहट कहीं मिलती नहीं अम्मा तेरी तैरती निश्छल सी वह बातें नहीं है अब मुझे आशीष देने को तेरी बाहें नहीं है अब मुझे ऊंचाइयों पर सारी दुनिया देखती है पर तरक्की देखने को बस तेरी आंखें नहीं है अब! 

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माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा ओ माँ मेरी माँ प्यारी माँ मम्मा हाथों की लकीरें बदल जायेंगी ग़म की येः जंजीरें पिघल जायेंगी हो खुदा प...